मामला अहमदनगर (अब अहिल्यानगर) के पठारडी के पुलिस स्टेशन से जुड़ा है. यहां कांस्टेबल संतोष अथारे और उनके भाई सुभाष के खिलाफ गुप्त जानकारी को उजागर करने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने पाया कि पुलिस स्टेशन को ‘प्रतिबंधित स्थान’ की श्रेणी में नहीं रखा गया है और वीडियोग्राफी पर लगाए गए आरोप भ्रामक हैं.
FIR में लगी अन्य धाराएं नहीं हटाई गई
इस फैसले के बावजूद अदालत ने FIR में दर्ज अन्य धाराओं जैसे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) को खारिज करने से इंकार कर दिया. अदालत ने FIR की मूल बातों की जांच का अधिकार संबंधित अदालत को दिया है.
अप्रैल 2022 का है मामला
कांस्टेबल अथारे के खिलाफ मामला तब दर्ज हुआ जब उन्होंने आरोप लगाया था कि अप्रैल 2022 में तीन लोगों ने उनके घर में घुसपैठ की और उनकी मां के साथ दुर्व्यवहार किया. पुलिस ने सिर्फ एक गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया, जिससे नाराजगी जताते हुए सुभाष ने जांच अधिकारी से सवाल किए थे. इसके बाद उन्हें धमकियां मिलने लगीं.
कोर्ट ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
सुभाष ने इन धमकियों की रिकॉर्डिंग करके पुलिस महानिदेशक को इसकी शिकायत की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पुलिस ने सुभाष और संतोष के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. इस पूरे मामले पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस स्टेशन में वीडियो रिकॉर्डिंग करना जासूसी नहीं है और इस आधार पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं.