दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 में तिहाड़ जेल में एक गैंगस्टर की मौत के मामले में एक पूर्व जेल अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने 26 सितंबर को पूर्व डिप्टी जेल सुपरिंटेंडेंट नरेंद्र मीना की जमानत याचिका खारिज की। कोर्ट ने आदेश में कहा कि अपराध गंभीरता के साथ-साथ आरोपी द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को देखते हुए राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है। 29 वर्षीय अंडरट्रायल कैदी अंकित गुर्जर 4 अगस्त, 2021 को तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी के अंदर मृत पाया गया था।
मौत की जांच को CBI को सौंपते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि मृतक ने कस्टडी में हिंसा के कारण अपनी जान गंवाई।जस्टिस जैन ने कहा कि चश्मदीद गवाहों के बयान अपराध में आरोपियों के इन्वॉल्वमेंट के संकेत दे रहे हैं और ट्रायल कोर्ट में किसी भी देरी के लिए CBI को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। हाई कोर्ट ने कहा कि अंकित गुर्जर की मौत तब हुई जब वह न्यायिक हिरासत में था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अंकित गुर्जर के शरीर पर कई चोटों को दिखाया गया है। ट्रायल कोर्ट ने अपने संबंधित आदेश में यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता ने गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की।
CBI के मुताबिक, आरोपियों ने गुर्जर और दो अन्य कैदियों गुरजीत और गुरप्रीत को पॉलीकार्बोनेट ‘लाठियों’ से बेरहमी से पीटा। गुर्जर को उचित इलाज दिलाने पर ध्यान तक नहीं दिया गया, जिसकी 4 अगस्त, 2021 को चोटों के कारण मौत हो गई। गुर्जर तिहाड़ की जेल नंबर तीन में बंद था और उस पर कई हत्याओं का आरोप था। CBI ने कहा कि जांच के दौरान जेल से खून के संभावित निशान वाली सात पॉलीकार्बोनेट लाठियां बरामद की गईं।