माननीय  विशेष न्यायाधीश,  सीबीआई सेंट्रल कोर्ट, लखनऊ  ने बैंक धोखाधड़ी से संबंधित एक मामले में दो निजी आरोपी व्यक्तियों यथा  श्री रमेश चंद्र दत्ता एवं श्री अजीत पाल सिंह, जो(दोनों) कि मैसर्स शिवम ट्रेडर्स, कानपुर के खाते में पावर ऑफ अटॉर्नी धारक हैं, को 3 वर्ष की कारावास एवं  कुल 2 लाख रु. जुर्माने की सजा सुनाई।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने यूको बैंक, लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक की लिखित शिकायत के आधार पर दिनांक 23.03.2000 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप था कि आरोपी श्री विजय कुमार नागर, तत्कालीन शाखा प्रबंधक, यूको बैंक, जनरलगंज शाखा, कानपुर ( उत्तर प्रदेश) ने वर्ष 1998-99 के दौरान, मैसर्स शिवम ट्रेडर्स कानपुर; मैसर्स एम.वी. एंड संस, कानपुर एवं  अन्यों  के साथ आपराधिक षड़यंत्र  में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया तथा उपरोक्त फर्मों को अपने विवेकाधीन अधिकार से परे अनधिकृत क्रेडिट सुविधा/ओवरड्राइंग प्रदान की। इससे कथित तौर पर बैंक को 68 लाख रु.(लगभग) की सदोषपूर्ण हानि हुई और आरोपी को इसी तरह का सदोषपूर्ण लाभ हुआ।

जांच के पश्चात,  04 व्यक्तियों  यथा श्री विजय कुमार नागर, तत्कालीन शाखा प्रबंधक, यूको बैंक, जनरलगंज शाखा, कानपुर; श्री रमेश चंद्र दत्ता एवं  श्री अजीत पाल सिंह (दोनों मैसर्स शिवम ट्रेडर्स, कानपुर के खाते में पावर ऑफ अटॉर्नी धारक) और श्री विजय कुमार शुक्ला (मैसर्स एम.वी. एंड संस, कानपुर के खाते में पावर ऑफ अटॉर्नी धारक) के विरुद्ध  दिनांक 23.12.2002 को आरोप पत्र दायर किया गया थाl

विचारण के पश्चात अदालत ने दो निजी आरोपियों  को दोषी ठहराया एवं तदनुसार उन्हें सजा सुनाई। दो आरोपियों यथा लोक सेवक विजय कुमार नागर एवं निजी व्यक्ति विजय कुमार शुक्ला की विचारण  के दौरान मृत्यु हो गई, इसलिए उनके विरुद्ध विचारण समाप्त कर दी गई।

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