दो साल तक शिकायत दर्ज न करने और पीड़ित को धमकाने के मामले में ट्रायल कोर्ट ने समयपुर बादली एसएचओ और अन्य नामित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि सबूत जुटाने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता की नहीं है।
रोहिणी स्थित शिकायतकर्ता अकेले आरोपों को साबित नहीं कर सकता, पुलिस द्वारा उचित जांच की भी आवश्यकता है। न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा जिंदल की अदालत ने एसएचओ को तत्कालीन एसएचओ और अन्य नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जल्द जांच पूरी कर मामले में फाइनल रिपोर्ट या आरोप पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।