पर तारीख’ आजकल भारतीय न्यायालयों का कड़वा सच बन चुका है. आलम यह है कि
सिर्फ देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स
में करीब 43.55 लाख मामले लंबित है. अमूमन, इन मामलों के निपटारे में हो
रही देरी के पीछे न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी को कारण बताया जाता
है. लेकिन, केंद्रीय विधि मंत्रालय का ऐसा मानना नहीं है. केंद्रीय विधि
मंत्रालय ने लंबित मामलों के निपटारे में देरी के लिए न्यायाधीशों की कमी
के साथ दस अन्य कारणों को भी गिराया है.
लोकसभा में सांसद अदूर प्रकाश द्वारा पूछे गए लिखित सवाल के जवाब में विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद
ने कहा है कि 1 जुलाई 2019 तक देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों
(हाईकोर्ट) में करीब 43.55 लाख मामले लंबित हैं. इन मामलों के निपटारे में
देरी के पीछे सिर्फ न्यायाधीशों की कमी नहीं, बल्कि कुछ अन्य कारण भी
लंबित हैं. विधि मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा है कि राज्य और
केंद्रीय विधान की संख्या में बढ़ोत्तरी और प्रथम अपीलों के एकत्रित होने
के चलते भी न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है.
विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कुछ उच्च
न्यायालयों में साधारण सिविल आधिकारिकता का जारी रहना और न्यायालयों के
फैसलों के विरुद्ध उच्च न्यायालयों में की जा रही अपीलों के चलते भी
लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा है कि पुनरीक्षण एवं
अपीलों की संख्या और बारंबार होने वाले स्थगन आदेश लंबित मामलों को
बढ़ाने में प्रमुख कारण साबित हो रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि रिट के
अधिकार का अविवेकपूर्ण प्रयोग, खोज के अपर्याप्त इंतजामों और सामूहिक
मामलों की सुनवाई के चलते भी लंबित मामलें की संख्या बढ़ी है.