Uttar Pradesh Pocso मे बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म में फांसी की सजा का प्रावधान तो पहले ही हो गया था लेकिन आइपीसी में हुए संशोधन से यौन शोषण का शिकार होने वाले लड़के इसमें शामिल नहीं किए गए थे. अब लड़कों को भी यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान रखा गया है.
लड़की-लड़के दोनों संशोधित कानून के दायरे में
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने लड़की-लड़कों दोनों यानी बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) 2012 में संशोधन को मंजूरी दे दी है. संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है. इसके अलावा बाल यौन उत्पीड़न के अन्य अपराधों की भी सजा कड़ी करने का प्रस्ताव रखा गया है.
इसी सत्र में पेश हो सकता है संशोधन विधेयक
बच्चों के हित संरक्षित करने और बाल यौन अपराध को रोकने के उद्देश्य से लाया जा रहा पॉक्सो संशोधन विधेयक इसी सत्र में संसद में पेश हो सकता हैं. संशोधित कानून में पॉक्सो की धारा 4, 5, 6, 9, 14, 15 और 42 में संशोधन करने का प्रस्ताव है.
क्या है पॉक्सो एक्ट?
साल 2012 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया था. इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.
इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. बता दें कि देश भर में लागू होने वाले इस अधिनियम के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता-पिता की मौजूदगी में होती है.