नई दिल्ली। अयोध्या
भूमि विवाद को बातचीत से सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल गुरुवार को
सुप्रीम कोर्ट को सील बंद लिफाफे में अंतिम रिपोर्ट सौंपी। चीफ जस्टिस रंजन
गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि मध्यस्थता पैनल कोई
स्थाई समझौता करवा पाने में असफल रहा। अब इस मामले की 6 अगस्त से रोजाना
सुनवाई की जाएगी।
अदालत ने एक याचिका पर 11 जुलाई को पैनल से यह रिपोर्ट मांगी थी। सोमवार
को सभी पक्षों के बीच दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश सदन में आखिरी मीटिंग हुई
थी। 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। तब
सीजेआई ने कहा था कि अभी मध्यस्थता की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं लिया जा
रहा, क्योंकि ये गोपनीय है। पैनल जल्द अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दे।
याचिकाकर्ता ने की थी रोज सुनवाई की अपील
इससे पहले याचिकाकर्ता ने कहा था कि मध्यस्थता पैनल से कोई सकारात्मक
परिणाम नहीं मिल रहा है। इसलिए कोर्ट को जल्द फैसले के लिए रोज सुनवाई पर
विचार करना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता पैनल की स्टेटस
रिपोर्ट देखने के बाद ही तय करेंगे कि अयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना की
जाए या नहीं। अयोध्या विवाद में पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की याचिका और
जल्द सुनवाई का निर्मोही अखाड़ा ने भी समर्थन किया। अखाड़ा ने कहा था कि
मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। इससे पहले अखाड़ा
मध्यस्थता के पक्ष में था।
कोर्ट ने मार्च में मध्यस्था पैनल बनाया था
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए
मध्यस्थता समिति बनाई थी। समिति में पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला,
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।
मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और
जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता समिति को इस मामले को सुलझाने
के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। बेंच ने सदस्यों को निर्देशित किया था
कि आठ हफ्तों में मामले का हल निकालें। पूरी बातचीत कैमरे के सामने हो।
सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14
याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था- अयोध्या का
2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी
वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला।