दिल्ली और NCR में वायु प्रदूषण पर अगला कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( CPCB) से ईवन- ऑड योजना के दौरान प्रदूषण के आंकड़े तलब किए हैं। इसके साथ ही जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने वकील संजीव कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिसमें ईवन- ऑड योजना को असंवैधानिक और मनमानी करार देते हुए इसे रद्द करने का अनुरोध किया गया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि इस संबंध में दिल्ली में ईवन- ऑड योजना के शुरू होने से 14 नवंबर का दिन-प्रतिदिन का डेटा कोर्ट में दाखिल किया जाए। पीठ ने पिछले साल 1 अक्तूबर से 30 दिसंबर तक का प्रदूषण का डेटा भी दाखिल करने को कहा है। पीठ ने कहा कि इस मामले में 15 नवंबर को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि चार नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने वाहनों के प्रदूषण के मुद्दे पर भी चर्चा की थी और दिल्ली सरकार को डीजल वाहनों पर रोक लगाने और वाहनों के प्रदूषण पर डेटा के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने पूछा था कि प्रस्तावित ऑड-ईवन स्कीम में दो पहिया और तीन पहिया वाहनों को छूट क्यों दी गई। जस्टिस अरुण मिश्रा ने ऑड- ईवन योजना की प्रभावकारिता पर संदेह करते हुए कहा था, “हम डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने को समझते हैं, लेकिन आप एक वाहन को रोक रहे हैं और दूसरों को प्रदूषण करने दे रहे हैं।इससे आप क्या हासिल करेंगे? अधिक ऑटोरिक्शा और टैक्सियां सड़कों पर चलेंगी।” वहीं जस्टिस गुप्ता ने सार्वजनिक परिवहन के प्रबंधन की आलोचना की थी। उन्होंने कहा, “एयरपोर्ट मेट्रो ज्यादातर खाली रहती है। जब मैं सुप्रीम कोर्ट में जज बना तो सरकार ने 3 साल के भीतर सड़कों पर 3000 बसों का वादा किया। अभी 300 बसें ही हैं। सवाल सार्वजनिक परिवहन के बड़े इस्तेमाल का है।”