सुप्रीम कोर्ट ने केरल बिल्डिंग (लीज एंड रेंट कंट्रोल), अधिनियम, 1965( Kerala Buildings (Lease and Rent Control), Act, 1965]) के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा है कि किराए के परिसर या घर के किसी भी हिस्से को किसी अन्य को किराए पर देने से या उसे उप किराएदारी में देने से मकान मालिक को पूरे परिसर से किराएदार को बेदखल करने का अधिकार मिल जाता है। मकान मालिक द्वारा इस मामले में दी गई दलील यह थी कि भले ही परिसर के एक हिस्से में उप-किरायेदारी की जाए, लेकिन निष्कासन या खाली कराने का अधिकार पूरे परिसर के संबंध में मिल जाता है। इस दलील का जवाब देने के लिए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम जोसेफ की बेंच ने एम. मीरामेथेन एंड अदर्स बनाम के.परमेस्वरन पिल्लई मामले में दिए फैसले का हवाला दिया, जो उनके अनुसार, इस मुद्दे के सभी पहलु को को शामिल करता है। पीठ ने कहा- “उक्त अधिनियम की धारा 11 की उप-धारा (4) के उप-पैरा ( i) को देखने से कोई संदेह नहीं रह जाता है कि किरायेदार द्वारा अपने अधिकारों को पट्टे के तहत हस्तांतरित करने से और पूरे भवन की उप-किराएदारी करने या ”उसके किसी भाग ”से उत्पन्न कारण, यदि पट्टा उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं देता है तो परंतुक के तहत आवश्यक है कि मकान मालिक लीज की उक्त शर्त के उल्लंघन की सूचना देते हुए किरायेदार को एक पंजीकृत नोटिस भेजे और इसके बाद किरायेदार नोटिस प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर स्थानांतरण या उप-पट्टे को समाप्त करने में विफल रहता है, जैसा भी मामला हो सकता है, तो मकान मालिक द्वारा बेदखली के लिए एक आवेदन किया जा सकता है। इस प्रकार, किराए के परिसर के किसी भी हिस्से की उप-किराएदारी करना या किराए पर देने से पूरे परिसर से बेदखली का अधिकार मिल जाता है। इस तरह से यह कानून बताता है और यह भी, हमारी राय में भी इसकी यह एक उचित व्याख्या है, जैसे, यदि एक उप-किरायेदारी बनाई जाती है, तो पूरे परिसर की बजाय केवल एक भाग के संबंध में बेदखली आदेश पारित करना उचित नहीं होगा।” इस प्रावधान को पढ़ने से स्पष्ट है और पूर्वोक्त न्यायिक घोषणाओं के मद्देनजर, इस प्रस्ताव या कथन के बारे में कोई संदेह नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि, अगर परिसर के एक हिस्से में ही उप-किराएदारी की गई है, तो मकान मालिक से यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वह पूरे परिसर की उप-किराएदारी करने का आरोप लगाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ताओं ने विशेष रूप से यह दावा नहीं किया है कि एक हिस्से की उप-किराएदारी से, पूरे परिसर को खाली करने के लिए उत्तरदायी है, लेकिन यह कानूनी परिणाम है जो कानूनी स्थिति से उभर रहा है। अपील की अनुमति देते हुए, पीठ ने कहा कि किराएदार ने परिसर के एक हिस्से की उप-किराएदारी की है, इस आधार पर मकान मालिक किराए पर दिए पूरे परिसर से बेदखली कराने की मांग का हकदार है।