यदि कोई भी व्यक्ति अन्य व्यक्ति को कोई आपराधिक धमकी देना, जैसे कि किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी देना, किसी की प्रॉपर्टी को आग से जला कर खत्म करने की धमकी देना, रेप ,अपनी बात मनवाने के लिए किसी आपराधिक तरीके से धमकी देना। तो इस तरह की धमकी अपराधिक यानी क्रिमिनल धमकी कहलाती है। ऐसी धमकियां देने पर आई. पी. सी. की धारा 506 लगाई जाती है। धमकी के साथ – साथ ही अगर कोई व्यक्ति किसी इज्जतदार औरत की आबरू या उसकी इज्जत पर किसी प्रकार का लांछन लगाता है, तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर भी भारतीय दंड संहिता की धारा 506 लगाई जाती है।

जो कोई भी आपराधिक धमकी का अपराध करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास ,जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट, आदि के लिए हैं या धमकी मौत या गंभीर चोट पहुंचाने,आग से किसी संपत्ति का विनाश कारित करने के लिए, मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने के लिए, या सात वर्ष तक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने के लिए, किसी महिला पर अपवित्रता का आरोप लगाने के लिए हो, तो अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड, अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

लागू होने वाले अपराध व सजा

1. आपराधिक धमकी
सजा – 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

2. यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने, आदि के लिए है।
सजा – 7 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता करने योग्य है।

आसान भाषा में समझें

इस धारा को हम और सरलता से समझ सकते हैं, जैसे जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जान बूझ कर उसका अपमान करे, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग करने, या अन्य अपराध का कारण हो सकती है, या उसे किसी प्रकार का कोई आपराधिक कार्य करने के लिए धमकी दे, जिसे वह न करना चाहता हो, तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अनुसार दंड का प्रावधान दिया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में गवाहों की ज्यादा जरूरत नहीं होती है, अगर पीड़ित यानी जिस व्यक्ति को धमकी दी गई है, वह न्यायालय में यह साबित कर दे कि उसको इस बात के लिए धमकी दी गई है। और यदि यह धमकी गंभीर चोट या मृत्यु के लिए दी जा रही है, तो ऐसी स्तिथि में भारतीय दंड की धारा 506, धारा 302 और 307 से भी खतरनाक हो जाती है।

धारा 506 में सजा का प्रावधान

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को आपराधिक धमकी देने का अपराध करता है, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है, जिसकी समय सीमा को 2 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और कारावास की सजा के साथ ही साथ इस धारा में आर्थिक दंड का प्रावधान भी दिया गया है, या फिर दोनों दण्डों को एक साथ भी लगाया जा सकता है। आर्थिक दंड को न्यायलय अपराध की गंभीरता और अपराधी की हैसियत के आधार पर निश्चित करती है।


इससे सम्बन्धित कुछ अति महत्वपूर्ण बातें 

यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु या कोई और बड़ा अपराध करने की धमकी देता है, या किसी बेगुनाह औरत की इज्जत पर बेवजह लांछन लगाने की, या आग से जला कर नुकसान पहुंचाने की, या किसी संपत्ति को आग से जलाकर ख़त्म करने की धमकी दी जाती है, तो ऐसे व्यक्ति को मृत्युदंड या कम से कम 7 बर्ष तक के कारावास की सजा सुनाई जा सकती है, जिसे अपराध की गंभीरता को देखते हुए आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जा सकती है। किसी भी औरत या मर्द को जान से मारने की धमकी देना या उसके साथ बदसलूकी करना यानि बलात्कार करने की धमकी देना, तो ऐसी स्तिथि में भी 7 बर्ष तक के कारावास की सजा के साथ – साथ आर्थिक दंड से दण्डित किया जा सकता है।

धारा 506 में जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में वर्णित अपराध यह एक असंज्ञेय अपराध है। इस अपराध में किसी भी आरोपी को जमानत प्राप्त हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को साधारण आपराधिक धमकी देता है, तो यह किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है, और यदि मृत्यु या गंभीर चोट की धमकी दी जाती है, तो यह केवल और केवल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। इस अपराध में यदि पीड़ित व्यक्ति चाहे तो आरोपी के साथ समझौता कर सकता है। लेकिन पीड़ित व्यक्ति को यह समझौता मजिस्ट्रेट के सामने करना होगा।

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