रायपुर। राजधानी में पुनः 22 सितंबर से प्रशासन ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। देश भर सहित छत्तीसगढ़ राज्य की जिला व निम्न न्यायालय में कामकाज बंद है। जिसकी वजह से अधिवक्ताओं की आय पर विराम लग चुका है। इस कोरोनाकाल में अन्य लोगों सहित अधिवक्ता समाज भी इस परेशानी का सामना कर रहे है। कुछ अधिवक्ताओं को छोड़कर अन्य के पास और कोई विकल्प न होने के कारण परिस्थितिया अत्यंत खराब हैं। लेकिन कोरोना संक्रमितों की बढ़ती हुई संख्या ने इस परेशानी को और भी बढ़ा दिया है। अजीब विडंबना है कि जिसके माध्यम से सभी को न्याय मिलता हैं,आज उन्हीं अधिवक्ताओं के समक्ष जीविकोपार्जन को लेकर कठिन समस्या खड़ी है। और वे अपने न्याय के लिए शासन से निरंतर गुहार लगा रहे हैं।गोधन न्याय योजना बनाने वाली सरकार अधिवक्ताओं के प्रति न्याय सहयोग के लिए कितनी जिम्मेदार है ? इन तथ्यों से पता चलता है।
सरकार इस बात से अंजान नहीं होगी कि मार्च 2020 से न्यायालय में कामकाज बंद है ! अधिकांश अधिवक्ता परिवार के पास वकालत के अलावा आय का कोई साधन नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद, रायपुर सहित अनेक अधिवक्ता संघ ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अधिवक्ताओं के सहयोग के लिए पत्र लिखा है। जानकारी के अनुसार विधि मंत्री के साथ पदाधिकारियों की पूर्व में एक बैठक भी हुई थी लेकिन महीनों गुजर गए ! बैठक के बाद क्या हुआ ये कोई भी जानकारी जिम्मेदार लोगों के माध्यम से अब तक नहीं आई। देखते ही देखते 6 माह हो गए लेकिन अधिवक्ताओं के हितों के लिए सरकार कब जागेगी, कब सहयोग के लिए फैसला लिया जायेगा यह तो यक्ष प्रश्न की भांति प्रतीत हो रहा है।
सरकार सुने या ना सुने लेकिन अधिवक्ता संघ रायपुर व परिषद के कुछ पदाधिकारी अधिवक्ता हितों के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद के उपाध्यक्ष संजय शर्मा व अधिवक्ता संघ रायपुर के सचिव कमलेश पांडेय ने मुख्यमंत्री को पुनः पत्र लिखकर अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है। छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद के उपाध्यक्ष संजय शर्मा ने पुनः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य परिषद में लगभग 27000 अधिवक्ता व्यवसायरत हैं। न्यायालय में कार्य न होने के कारण अधिवक्ताओं के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। पूर्व में इस समस्या को देखते हुए आंशिक सहायता संघ व परिषद द्वारा प्रदान की गई थी जो अपर्याप्त है। उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद के आय के साधन सीमित है, पंजीकृत व व्यवसायरत अधिवक्ताओं के माध्यम से ही राशि संकलित होती है। इसलिए वर्तमान परिवेश में छत्तीसगढ़ शासन से आर्थिक सहायता अतिआवश्यक हैं। इसलिए इस संकट काल मे अधिवक्ताओं को त्वरित आर्थिक सहायता प्रदान की कृपा जाये ।
वही अधिवक्ता संघ रायपुर ने पुनः मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी संघ ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा था। लेकिन उस पर आज दिनांक तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। संघ के सचिव कमलेश पांडेय ने पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस संकटकाल में राज्य शासन से विशेष सहायता योजना की अपेक्षा के साथ अधिवक्ताओं को तात्कालिक आर्थिक सहायता प्राप्त हो। साथ ही अधिवक्ताओं के लिए कोरोना वायरस के इलाज के लिए भी एक विशेष योजना लागू किए जाने की बात कही है। पत्र में वर्णित हैं की विगत 6 माह से अधिवक्तागण बिना किसी आय अथवा शासकीय सहायता के अपना जीवन यापन किसी प्रकार से कर रहे हैं। सचिव श्री पांडेय ने रोष व्यक्त करते हुए लिखा है कि अधिवक्ता वर्ग को इतिहास में पहली बार इतनी भयावह व अभूतपूर्व एवं भयावह स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस संकट काल में अधिवक्ताओं के लिए अपने व अपने परिवार के भरण पोषण के लिए जीवन मरण ला प्रश्न उत्पन्न हो गया है।
अधिवक्ताओं की स्थिति को देखते हुए उन्होंने यह भी कहा गया कि यह दुर्भाग्य कि बात है कि अधिवक्ताओं के लिए आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की सहायता राशि, अथवा राहत हेतु कोई भी योजना नही बनी है। जिससे अधिवक्ता वर्ग में काफी हताशा व निराशा उत्पन्न हो रही है। वर्तमान में व्याप्त कोरोना महामारी की भयावहता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि इस संकट काल मे अधिवक्ता संघ के कुछ अधिवक्ता व उनके परिजन कोरोना संक्रमित हुए हैं जिनके इलाज के लिए अधिवक्ताओं हेतु किसी भी प्रकार की योजना अथवा चिकित्सा लाभ की व्यवस्था शासन द्वारा नही की गई हैं। जिससे इस घोर आर्थिक संकट के समय महंगे इलाज को वहन कर पाना अधिवक्ताओं के लिए मुश्किल हो गया है। इस प्रकार अधिवक्ता संघ व परिषद के पदाधिकारियों ने अधिवक्ताओं की समस्या से प्रदेश के मुखिया को अवगत कराया है साथ ही अधिवक्ताओं के लिए कोरोना वायरस के इलाज हेतु विशेष योजना लागू करने के साथ ही तत्काल अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता की मांग की है। अब देखना यह है कि सरकार के मुखिया की संवेदना कब इस ओर जागृत होती है। लोगों को न्याय दिलाने वाले वकीलों के प्रति कब न्यायसंगत आर्थिक सहायता व अन्य सहयोग प्राप्त होता है।