इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने आदेश दिया है कि एक FIR व केस क्राइम नंबर से जुड़ीं जमानत या अग्रिम जमानत अर्जियों को सुनवाई के लिए उसी पीठ के समक्ष भेजा जाएगा, जिसने उसी केस क्राइम नंबर की कोई अर्जी पहले मेरिट पर निर्णीत की होगी। उस पीठ के उपलब्ध नहीं होने पर किसी अन्य पीठ, जिसने उसी केस में अर्जी तय की होगी, उसके समक्ष अर्जी भेजी जाएगी। यदि दोनों पीठ उपलब्ध नहीं रहेंगी तो ऐसी अर्जी क्षेत्राधिकार वाले जज के समक्ष भेजी जाएगी और फिर वह उसकी सुनवाई करेंगे।

चीफ जस्टिस ने यह आदेश प्रधानी जानी बनाम उड़ीसा राज्य सहित अन्य केसों के हवाले से जमानत, अग्रिम जमानत की सुनवाई व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में जारी किया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जियों को तय करने में मतभिन्नता दूर करने के लिए आदेश दिया है कि किसी भी आपराधिक मामले में यदि किसी जज ने अभियुक्त की जमानत अर्जी निस्तारित की हो तो बाद में सह अभियुक्तों की अर्जियों की सुनवाई भी उसी जज की जाए।

इसी के तहत मुख्य न्यायाधीश ने यह आदेश जारी किया है। अब किसी जज ने किसी आपराधिक केस में एक अभियुक्त की जमानत या अग्रिम जमानत अर्जी मेरिट पर तय की तो बाद में सह अभियुक्तों की अर्जी किसी दूसरे जज के यहां नहीं बल्कि पहले सुनवाई कर चुके जज के यहां ही सुनी जाएगी। उस जज की उपलब्धता न होने पर ही समान क्षेत्राधिकार वाले जज सुनवाई करेंगे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के हालिया आंदोलन का एक मुद्दा यह भी है, जिससे वकीलों को परेशानी हो रही थी।

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