इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान किसी को धर्म मानने व प्रचार करने की अनुमति देता है। यह धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नही देता। मतांतरण कराना एक गंभीर अपराध है। जिसपर सख्ती की जानी चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने अनुसूचित जाति के लोगों को हिंदू से ईसाई बनाने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा नागरिकों को अपना धर्म मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है। किसी को भी मत परिवर्तित कराने की अनुमति नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने आंध्र प्रदेश के श्रीनिवास राव नायक की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।
महाराजगंज में दर्ज है FIR
महाराजगंज के थाना निचलौल में श्रीनिवास राव नायक व अन्य के खिलाफ गरीब हिंदुओं को बहला-फुसला कर ईसाई बनाने के आरोप में FIR दर्ज की गयी है। आरोप है याची ने लोगों को प्रलोभन दिया कि ईसाई मत अपनाने से उनके सभी दुख-दर्द दूर हो जाएंगे और वे जीवन में खुशियां आयेंगी और वे प्रगति करेंगे। मालूम हो कि सह-अभियुक्त विश्वनाथ ने अपने घर पर 15 फरवरी 2024 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें भारी संख्या में ग्रामीणों को बुलाया गया था। इसके बाद काफी लोगों ने मत परिवर्तन कर लिया।
कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी
याची का कहना था कि उसका कथित मतांतरण से कोई संबंध नहीं है। वह आंध्र प्रदेश का निवासी है। उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा याची आंध्र प्रदेश का निवासी है और महाराजगंज में मतांतरण कार्यक्रम में आया था। वह धर्मांतरण में सक्रिय रूप से भाग ले रहा था, जो कानून का उल्लघंन है।
कोर्ट ने कहा शिकायतकर्ता को मत परिवर्तन करने के लिए राजी किया गया था, जो जमानत देने से इन्कार करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि शिकायतकर्ता ने आंध्र प्रदेश निवासी आवेदक को गैरकानूनी मत परिवर्तन के मामले में झूठा फंसाया। दोनों के बीच कोई दुश्मनी भी नहीं थी। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।