इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी के बाद हिंदू महिला के इस्लाम धर्म अपनाने से इंकार करने पर उसकी हत्या करने के चर्चित मामले के आरोपी को कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी शोएब अख्तर की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता शोएब अख्तर अपने दोस्त एजाज के दबाव डालने के बावजूद उसकी पत्नी प्रिया द्वारा धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म नहीं अपनाने की वजह से उसकी हत्या करने का आरोपी है।

हाईकोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए सोनभद्र जिले के चोपन इलाके के रहने वाले शोएब अख्तर की दूसरी बार दाखिल जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया है। आरोपी शोएब अख्तर की पहली जमानत अर्जी इसी साल जनवरी महीने में हाईकोर्ट से खारिज हुई थी। मामले के मुताबिक सिंदुरिया गांव के एक चौकीदार को 21 सितंबर 20 को सूचना मिली कि नाले में सिर कटी एक लाश पड़ी है। बाद में यह शिनाख्त हुई थी कि यह लाश प्रिया नाम की महिला की थी।

इस्लाम धर्म अपनाने का बना रहा था दबाव
प्रिया की शादी कुछ दिनों पहले ही एजाज अहमद उर्फ आसिफ के साथ हुई थी। प्रिया और एजाज दोनों की अलग-अलग धर्म के थे। प्रिया हिंदू धर्म की थी जबकि उसका पति एजाज मुस्लिम था। मौत के घाट उतारी गई महिला के परिवार वालों के मुताबिक पति एजाज शादी के बाद पत्नी प्रिया पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाल रहा था। एजाज ने बिना इस्लाम धर्म अपनाये उसे अपने घर लाने से इंकार कर दिया था।

पुलिस की तफ्तीश में यह साफ हुआ था कि पत्नी प्रिया द्वारा धर्म परिवर्तन करने से मना करने पर एजाज व याची शोएब अख्तर ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। प्रिया के शव को दो टुकड़े में कर उसे नाले में फेंक दिया था। प्रिया की हत्या 21 सितंबर 2020 को की गई थी। पुलिस ने अपनी जांच में प्रिया के पति एजाज और उसके दोस्त शोएब अख्तर को आरोपी माना था। याची शोएब अख्तर ने सह अभियुक्त एजाज को जमानत मिलने के आधार पर जमानत की मांग की थी। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा – एजाज ने झूठ बोलकर जेल की अवधि अधिक बता जमानत हासिल की है, इसलिए याची उसका लाभ पाने का हकदार नहीं हैं।

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को इस मामले का निपटारा जल्द करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके साथ ही एसपी सोनभद्र को गवाहों की अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित कराने का भी निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच में हुई। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती है। याचिकाकर्ता शोएब अख्तर की पहली जमानत अर्जी इसी साल जनवरी महीने में खारिज हो गई थी।

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