ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एक पिता को अपने 11 साल के बच्चे को साथ घुमाने का अधिकार दिया है। अब वह प्रत्येक रविवार को सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक बच्चे को अपने साथ ले जा सकेगा। शहर में घुमाने के साथ-साथ खाना भी खिला सकता है। अब इस मामले में बच्चा हॉस्टल में रहेगा या फिर मां के पास। इस ङ्क्षबदु पर फैसला होगा। पिता अच्छे स्कूल में बच्चे को पढ़ाना चाहता है, लेकिन उसके मामा आने नहीं दे रहे हैं।

नरेश (परिवर्तित नाम) ने अपने बच्चे की कस्टडी के लिए कुटुंब न्यायालय में दावा पेश किया था, लेकिन कुटुंब न्यायालय ने उसका आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में अपील दायर की है।

उसकी ओर से तर्क दिया कि मैं अपने बच्चे को शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ा रहा था, लेकिन पत्नी अपने मायके में बच्चे को ले गई है। उसे पढ़ा नहीं पा रही है। न मुझे मिलने देती है। बच्चे को मामा के घर की बजाए हॉस्टल में रखा जाए, जिससे उसका भविष्य बन सके। उसे मिलने की अनुमति भी दी जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बच्चे को अपने साथ घुमाने का अधिकार दिया है।

पत्नी वापस नहीं आई तो तलाक का आवेदन लगाया

  • नरेश ने पहले पत्नी को वापस बुलाने के लिए धारा 9 का आवेदन कुटुंब न्यायालय में लगाया, लेकिन पत्नी मायके से नहीं आई। इसके बाद पति ने तलाक का आवेदन लगाया है। तलाक का दावा चल रहा है।
  • कुटुंब न्यायालय ने शुरुआत में बच्चे से न्यायालय परिसर में अनुमति दी थी, लेकिन बाद में आवेदन खारिज कर दिया।
  • बच्चे की उम्र 11 साल हो गई है। पिता को उसके भविष्य की ङ्क्षचता सताने लगी है। मामा के यहां उसका भविष्य खराब हो रहा है।

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