नई दिल्ली। उत्तराखंड में चीन की सीमा तक जाने वाली चार धाम सड़क के चौड़ीकरण मामले में 14 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी हैं। जबकि केंद्र  इस सड़क की चौड़ाई 7.5 मीटर करना चाहती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर ही रखने का आदेश दिया है।

 न्यायमूर्ति विनीत सरन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल व सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मामले में कोर्ट के पूर्व आदेश और लंबित अर्जियों को संयोजित करके पेश करें।

 जबकी एक संस्था सिटीजन फार ग्रीन दून पर्यावरण को नुकसान के आधार पर चार धाम सड़क को 7.5 मीटर तक चौड़ी करने का विरोध कर रही हैं जिनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्विस ने मामले की सुनवाई टालने का आग्रह करते हुए कहा, कि केस से जुड़ी फाइल और कागज उनके पास नहीं हैं। और जिनके पास फाइल हैं उसे कोरोना है। इसलिए सुनवाई तीन सप्ताह के लिए टाल दी जाए। लेकिन सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई टालने का विरोध किया।

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में रक्षा मंत्रालय की अर्जी है। मंत्रालय चाहता है कि सड़क 7.5 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष सितंबर में सड़क को सिर्फ 5.5 मीटर तक ही चौड़ी करने की इजाजत दी है। 

उन्होंने कहा कि, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि यह सड़क चीन सीमा तक जाती है और इसके उपयोग का उद्देश्य अलग है। इसलिए यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिए।

विदित हो कि, गत वर्ष आठ सितंबर को न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार धाम सड़क की चौड़ाई सिर्फ 5.5 मीटर रखने की इजाजत दी थी। कोर्ट के इस आदेश का आधार सरकार का वह नोटिफिकेशन था जिसमें पहाड़ी क्षेत्र की सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने की बात कही गई थी। 

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