प्रयागराज ।  इलाहाबाद हाईकोर्ट एक कपल की लिव-इन रिलेशनशिप याचिका पर दिए गए ने अपने ही एक फैसले को और स्पष्ट किया है , कोर्ट ने कहा कि हम लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं हैं, पर हम उस जोड़े को साथ रहने की इजाजत कैसे दे सकते हैं, जिसमें से एक पहले से ही शादीशुदा हो। अगर दो बालिग कपल साथ रहना चाहते हैं और अविवाहित हैं, तो उसमें कानून कहीं से भी अड़चन नहीं बनता। वे साथ रह सकते हैं। इसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक और कपल द्वारा याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों को साथ रहने की इजाजत दे दी और पुलिस को दोनों को सुरक्षा देने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि हमने 15 जून को उस कपल की तरफ से दायर सुरक्षा याचिका को खारिज कर दिया था, जो लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते थे, पर उनमें से लड़की पहले से शादीशुदा थी। कोर्ट ने उस मामले में याचिका को खारिज करते हुए पांच हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था।

 हम अवैध संबंधों को बढ़ावा देने वाली याचिका स्वीकार नहीं कर सकते

न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा था कि हम यह समझने में विफल हैं कि इस तरह की याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है, जो समाज में अवैध संबंधों को अनुमति देती हो। ये संबंध हिंदू विवाह अधिनियम के जनादेश के खिलाफ हैं। संविधान का आर्टिकल 21 स्वतंत्रता की अनुमति तो देता है, लेकिन स्वतंत्रता उस कानून के दायरे में होनी चाहिए जो उन पर लागू होता है।

  कोर्ट ने सुरक्षा देने का दिया आदेश 

शुक्रवार को यही बेंच एक युवा कपल की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कपल ने कोर्ट को बताया कि यह लिव-इन रिलेशनशिप अब शादी में बदल गई है। हमने रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है। इसपर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस डर से कोर्ट की शरण में आए हैं कि उन्हें परेशान किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता विवाह योग्य उम्र के हैं और वे लिव-इन में रहना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे से शादी कर ली है, इसलिए अदालत ने पुलिस को सभी दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है।

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