एक अधिवक्ता की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही ,जस्टिस एम धंदापनि की एकल पीठ ने कहा कि, बार काउंसिल को उन अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए जो सार्वजनिक रूप से अपने अनियंत्रित आचरण के कारण कानूनी बिरादरी को अपमानित करते हैं।
यदि ऐसी घटनाएं विजुअल या प्रिंट मीडिया के माध्यम से बार काउंसिल के संज्ञान में आती हैं, तो बार काउंसिल को किसी औपचारिक लिखित शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना, स्वतः कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।
गौरतलब हैं कि , अधिवक्ता पर पुलिस वालों को सार्वजनिक रूप से डराने – धमकाने का आरोप था। जब पुलिस वालों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने के लिए अधिवक्ता के वाहन को रोका तो उसने पुलिस अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से डराया-धमकाया। जिसके विजुअल मीडिया में भी जारी हुए।
अधिवक्ता भी आम नागरिक हैं और कानून से ऊपर नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि ,
एक वकील भी अन्य सभी व्यक्तियों की तरह एक नागरिक होता है। केवल उनके पेशे और उनके सोशल माइंडेड एक्ट के कारण, अधिवक्ताओं का कद बड़ा हो जाता है और वास्तव में यही कारण है कि कानून ने उन्हें पुलिस से भी सवाल करने का रूतबा/क्षमता प्रदान किया है। लेकिन उस रूतबे का इस्तेमाल किसी व्यक्ति या सरकार के किसी अधिकारी की प्रतिष्ठा और पोजिशन को खराब किए बिना कानूनी और वैध तरीके से किया जाना चाहिए। इस बात पर और जोर दिया जाना चाहिए कि अधिवक्ता कानून से ऊपर नहीं हैं और वास्तव में अधिवक्ताओं को कानून का अधिक सम्मान करना पड़ता है, क्योंकि यह उनकी रोजी-रोटी है।
न्यायोचित कारणों के अलावा अन्य के लिए अधिवक्ता के पद का उपयोग और कुछ नहीं बल्कि भ्रष्ट प्रकृति का कार्य है, जिसे न्याय की मूर्ति के हाथों में रखी तलवार से काटने की आवश्यकता है। एक वकील का कर्तव्य यह देखना है कि कानून के शासन का पालन किया जाए, भले ही इससे उसे कितना भी नुकसान हो। बार के वरिष्ठ सदस्य, विशेष रूप से मद्रास बार ने सदियों से एक साथ कानून के शासन को ऊंचा रखा है और मद्रास बार को हमेशा आदर और प्रशंसा के साथ देखा जाता है। लेकिन, आजकल, कुछ सदस्य केवल खुद को समृद्ध करने के लिए और अपने स्वार्थ के लिए, कानूनी बिरादरी के बड़े हित को हवा में फेंक देते हैं और कानूनी पेशे के अन्य सदस्यों को अपने कृत्यों से अपूरणीय क्षति पहुंचाते हैं, जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया है।
अदालत ने कहा कि आम जनता और कानूनी पेशेवरों के बौद्धिक समूह से कम से कम यह उम्मीद की जा सकती है कि उन्हें संभालने के दौरान वह न्यूनतम बुनियादी सम्मान और शिष्टाचार जरूर देंगे। बार काउंसिल को स्वतः संज्ञान कार्रवाई करनी चाहिए कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल को उनके संज्ञान में आने के बाद वकील के किसी भी गैर-पेशेवर आचरण के खिलाफ स्वतःकार्रवाई करनी चाहिए।