वर्ष 2021 की पहली नेशनल लोक अदालत में रायपुर जिले में एक ही दिन में 8352 मामलों का निराकरण किया गया। यह पहली बार है, जब प्रदेश के किसी जिले में एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में मामलों का निराकरण हुआ हो। पूरे प्रदेेश में कुल 15 हजार के लगभग मामलों का निराकरण हुआ है, जिसमें से लगभग एक तिहाई मामले सिर्फ रायपुर में निराकृत हूए।
छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा के निर्देश पर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के अध्यक्ष जिला न्यायाधीश श्री अरविंद कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में शनिवार को नेशनल लोक अदालत जिला न्यायालय रायपुर एवं रायपुर जिले के अन्य तहसील न्यायालयों में हुई।
इस नेशनल लोक अदालत में रायपुर जिला न्यायालय में कुल 8352 प्रकरणों का निराकरण हुआ, जिसमें 4176 न्यायालय के लंबित प्रकरण व 4176 प्रीलिटिगेशन प्रकरण रहे। विदित हो कि, इस लोक अदालत मेें कुल 15808 मामलों को सुनवाई हेतु रखा गया था, जिसमें 47 खंडपीठों के द्वारा सुनवाई की गई। जिला न्यायालय रायपुर के नवीन भवन में प्रातः 10ः30 बजे जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा एवं अधिवक्ता संघ, रायपुर के अध्यक्ष आशीष सोनी ने दीप प्रज्वलित कर लोक अदालत का उद्घाटन किया।
माननीय जिला न्यायाधीश श्री वर्मा ने उपस्थित पक्षकारों, अधिवक्ताओं एवं सभी अधिकारियों से लोक अदालत में अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करने की अपील की एवं सभी से आग्रह करते हुए कहा कि, कोरोना महामारी के कारण अधिकांश लोग परेशान है, इसलिये लोगों के प्रति उदारता एवं सहयोग की भावना दिखाते हुये, लोगों को राहत देने का प्रयास करें। उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर रायपुर में पदस्थ सभी न्यायाधीशगण एवं अधिवक्ता संघ रायपुर के विभिन्न पदाधिकारी मौजूद रहे।
नेशनल लोक अदालत हेतु जिला न्यायालय रायपुर में कुल 47 खण्डपीठों का गठन किया गया था। साथ ही, तालुका स्तर पर गरियाबंद, तिल्दा, देवभोग एवं राजिम के न्यायालयों में भी लोक अदालत लगायी गयी थी। लोक अदालत की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही न्यायालय में पक्षकारों का आना शुरू हो गया। दिन भर में बड़ी संख्या में लोगों ने न्यायालय में पहुच कर अपने प्रकरणों में आपसी राजीनामा से मामलों का निपटारा किया।
नेशनल लोक अदालत में निराकृत हुए मामलों में कई ऐसे मामले भी थे, जो लंबे समय से न्यायालय में लंबित थे। इसके अतिरिक्त न्यायपीठों के समक्ष लगभग ढाई हजार प्री-लिटिगेशन मामले भी सुनवाई हेतु रखे गए थे, जिनमें से बड़ी संख्या में मामले निराकृत हुये। इसी प्रकार, लाकडाउन के उल्लंघन करने वालों के लगभग 300 से ज्यादा राज्य सरकार द्वारा वापस लेने के आधार पर खत्म हुए।
लोगों ने कराया अपना स्वास्थ्य परीक्षण
इस लोक अदालत के संबंध में जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि, हमेशा की तरह इस बार भी सभी अधिवक्तागण एवं आमजन ने लोक अदालत में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और लोक अदालत में आपसी राजीनामा के माध्यम से अपने प्रकरणों के निराकरण के लिए तत्परता दिखायी। लोगों की सुविधा के लिए रामकृष्ण केयर हास्पिटल की ओर से लगाए गए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में लगभग 250 लोगों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया।
जब न्याय ने खटखटााया पक्षकारों का दरवाजा़
रायपुर जिला न्यायालय द्वारा नेशनल लोक अदालत में एक अनोखा प्रयोग किया गया, जो संभवतः देश में अपनी तरह का पहला उदाहरण होगा। छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के कार्यपालक अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री प्रशान्त कुमार मिश्रा के द्वारा वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी प्राधिकरणों को यह संदेश दिया गया कि, महामारी के दौर में हो रहे इस नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक लोगों को हर तरह से राहत पहुंचाने का काम किया जाये और लोगों की न्याय पाने में हर तरह से मदद की जाये।
जिसके मदद्ेनज़र रायपुर के जिला न्यायाधीश श्री अरविंद कुमार वर्मा ने नेशनल लोक अदालत के लिये पैरा वालिंटियर्स की टीम और प्राधिकरण के वाहन को इस हेतु निर्देशित किया कि, यदि किसी पक्षकार को न्यायालय तक पहुंचने में या किसी भी माध्यम से न्यायालय से जुड़ने में दिक्कत होगी, तो प्राधिकरण द्वारा ऐसे लोगों को न्यायालय से जोड़ने का कार्य किया जाएगा।
इस टीम की सहायता से रोड एक्सीडेंट के एक मामले में 78 वर्ष के बुजुर्ग पक्षकार, अली असगर अजीज को न्यायालय आने में परेशानी थी, उन्हें भी सहायता मिली। उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ था, जिस कारण वे चलने-फिरने में असमर्थ थे और बुजुर्ग होने के कारण मोबाइल का उपयोग भी नहीं कर पाते थे। उनकी परेशानी को देखते हुये प्राधिकरण ने दो पैरा वालिंटियर्स को भेजकर रायपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट श्री भूपेन्द्र कुमार वासनीकर की खंडपीठ में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्षकार अली असगर को आभासीय रूप् से उपस्थित कराया। व न्यायालय द्वारा वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से ही अली असगर को समझाइश दी गई और राजीनामा के संबंध में चर्चा की गई। और थाना कोतवाली, रायपुर के अपराध क्रमांक 372/2020 में राजीनामा के उपरांत मामला समाप्त किया। इस मामले में प्राधिकरण की पहल को देखते हुये बुजुर्ग पक्षकार अली असगर ने प्राधिकरण का धन्यवाद किया और कहा कि,ख् अब तक उन्होंने यही सुना था कि अदालत की सीढ़ियॉं चढ़ते-चढ़ते उम्र बीत जाती है, पर आज जब न्यायालय खुद उनके पास आकर मामले का निराकरण करा रहा है तो यह देखकर बहुत खुशी हो रही है।
इसी तरह चेक बाउंस के एक अन्य मामले में पक्षकार राजवंत सिंह एक दुर्घटना का शिकार हो गये और उनकी पसलियॉं टूट गई। वर्तमान में वे चलने-फिरने में असमर्थ हैं। राजवंत सिंह भी अपने मामले में राजीनामा कर मामले को खत्म करना चाहते थे लेकिन अपने स्वास्थ्यगत कारणों से वे न्यायालय आने में असमर्थ थे। राजवंत सिंह विरोधी पक्षकार को लिये गये उधार के एवज में चेक, न्यायालय के सामने देना चाहते थे। जब यह बात प्राधिकरण को पता चली तो प्राधिकरण ने पैरा वालिंटियर्स को वाहन सहित उनके घर भेजा और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें न्यायालय लेकर आ गये और डॉ. सुमित सोनी के न्यायालय में उन्होंने चेक प्रदान किया और राजीनामा के माध्यम से मामले का निपटारा हुआ। जिस पर राजवंत सिंह ने प्राधिकरण के प्रयासों को सराहा और बताया कि, वे ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि न्यायालय से वाहन और वालिंटियर्स उनकी इस तरह मदद कर उनके मामले का निराकरण करायेंगे।
नेशनल लोक अदालत में रखे गए मामले
नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखे गए कुल मामले -15867
निराकृत हुए कुल मामले – 8293
निराकृत हुए मामलो का वर्गीकरण-
राजीनामा योग्य आपराधिक मामले- 1140
चेक बाउंस के मामले – 917
दुर्घटना दावा प्रकरण – 176
सिविल वाद – 125
विद्युत अधिनियम से संबंधित मामले- 45
विवाह से संबंधित मामले- 33
श्रम न्यायालय से संबंधित मामले-20