दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा प्रवक्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया के खिलाफ सोशल मीडिया मंचों से कथित अपमानजनक सामग्री हटाने का मंगलवार को निर्देश दिया। नोएडा की एक अदालत में, भाटिया के साथ 20 मार्च को हुई हाथापाई की घटना के सिलसिले में सोशल मीडिया पर ये पोस्ट किये गए थे। हाईकोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया मंचों पर सार्वजनिक आलोचना और कथित अपमानजनक पोस्ट बहुत बढ़ गए हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के आधार पर व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अदालत ने सोशल मीडिया मंचों से अपमानजनक पोस्ट हटाते हुए अंतरिम राहत देने की भाटिया की अर्जी पर आदेश पारित किया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने हाथापाई की घटना की निंदा की और कहा कि वकील गौतम बुद्ध नगर अदालत में हड़ताल पर रहे होंगे, लेकिन याचिकाकर्ता भाटिया को जब इस बारे में सूचना मिली तो वह स्थगन के लिए राजी हो गए, जिसकी अनुमति दे दी गई।

हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, उनके साथ हाथापाई करना, जैसा कि उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है, उनके साथ किये गए अत्यधिक निंदनीय कृत्य हैं।’’ अदालत ने कहा कि इस घटना की रिपोर्टिंग करना प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है, लेकिन घटना के बारे में सत्यवादी बने रहना भी एक कर्तव्य है। अदालत ने कहा कि भाटिया की पिटाई होते दिखाने वाले ‘डीपफेक’ वीडियो कुछ और नहीं, बल्कि स्पष्ट रूप से झूठे तथ्यों का अति-सनसनीखेज चित्रण है।

अदालत ने कहा कि इस तरह के वीडियो के प्रसार से न केवल उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, बल्कि भविष्य में उनके खिलाफ प्रसारित और इस्तेमाल किए जाने का खतरा होने की भी संभावना है। अदालत ने कहा कि वाद का निर्णय होने तक सामग्री को सार्वजनिक रखे जाने पर रोक लगाई जा सकती है। यह वाद यूट्यूब चैनलों और ‘एक्स’ हैंडल के खिलाफ दायर किया गया है।

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