भारत के संविधान की प्रस्तावना अपने नागरिकों के लिए ‘न्याय’ को सुरक्षित किए जाने वाली पहली सुपुर्दगी के रूप में मान्यता देती है। एक सफल और जीवंत लोकतंत्र की पहचान यह है कि प्रत्येक नागरिक को न केवल न्याय की गारंटी दी जाए, बल्कि वह भी ऐसा जो न्यायसंगत हो।  यह देश को एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए बाध्य करता है जहां न्याय-वितरण को एक संप्रभु कार्य के रूप में नहीं बल्कि नागरिक-केंद्रित सेवा के रूप में देखा जाता है।  वैश्विक महामारी ने लोगों की पीड़ा को कम करने में कानूनी सहायता संस्थानों की भूमिका को और अधिक स्पष्ट कर दिया है।  इस परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, न्याय विभाग और नालसा ने दिनांक 17 सितंबर 2021 को कानूनी सहायता को मुख्यधारा में लाने और प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय तक पहुंच की आकांक्षा को साकार करने के लिए एक विशेष अखिल भारतीय अभियान चलाया है।


जैसा कि देश “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है, न्याय विभाग ने टेली-लॉ के तहत बड़े पैमाने पर पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए दिनांक 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देश भर में “एक पहल” अभियान शुरू किया। टेली लॉ का माध्यम प्रभावी रूप से पैनल वकीलों द्वारा लाभार्थियों को 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 633 जिलों में 50,000 ग्राम पंचायतों में 51,434 सामान्य सेवा केंद्रों को कवर करने वाले लाभार्थियों को पूर्व-मुकदमे संबंधी सलाह प्रदान करता है।


5480 लाभार्थियों के पंजीकरण लॉगिन के साथ इस लॉगिन अभियान में लाभार्थियों के दैनिक औसत पंजीकरण की तुलना में 138% की वृद्धि दर्ज की गई। सीएससी में क्षेत्रीय भाषाओं में 25000 से अधिक बैनर कानूनी सलाह सहायक केंद्र के रूप में प्रदर्शित किए गए।


नालसा और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सभी नागरिकों विशेषकर जरूरतमंद और गरीब लोगों को निकट, सस्ता और त्वरित न्याय प्रदान करके कानूनी सहायता वितरण और नागरिकों के कानूनी सशक्तिकरण का एक मजबूत ढांचा तैयार करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।  नालसा ने दिनांक 17 सितंबर 2021 को अपने देशव्यापी संगठनात्मक ढांचे के माध्यम से कानूनी जागरूकता पैदा करने के लिए एक अखिल भारतीय विशेष अभियान शुरू किया था। 

इस अभियान के मुख्य आकर्षण में 185 मोबाइल वैन और अन्य वाहनों को एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम पर बनी फिल्में और वृत्तचित्र प्रदर्शित करने के लिए तैनात करना, 672 जिलों में विधिक सहायता को लेकर ग्राम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा 37,000 पैनल वकीलों और पैरा-लीगल वॉलंटियर्स की मदद से आम नागरिकों को प्री-लिटिगेशन/कानूनी सलाह देने के लिए 4100 लीगल एड क्लीनिकों का आयोजन शामिल है।


डोर-टू-डोर अभियान, कानूनी सेवाओं पर बैनर का प्रदर्शन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक आयोजित किए गए थे- जिन्हें 14.85 लाख से अधिक नागरिकों की उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली।


न्याय विभाग और नालसा का यह संयुक्त प्रयास समावेशी शासन को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है; साथ ही बेजुबानों को आवाज देना; और ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका न्याय’ के लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना ।

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