जिला राज्य उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने हरियाणा राज्य परिवहन (Haryana State Transport) के महानिदेशक और विभाग के अन्य वादियों पर 1,75,000 रुपये जुर्माना लगाया है. उन्होंने कहा कि सेकेण्ड हैंड स्मोक या पैसिव स्मोकिंग (passive smoking) धूम्रपान करने वालों और न करने वालों दोनों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य का खतरा होता है. आयोग का यह फैसला हरियाणा के एक शिकायतकर्ता की अपील पर आया, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि हरियाणा राज्य परिवहन की बसों में यात्रा करते समय, उसने पाया कि बस में ड्राइवर और कंडक्टर धूम्रपान कर रहे थे.


दरअसल, मीडिया खबरों के मुताबिक हरियाणा के रहने वाले अशोक कुमार प्रजापत द्वारा दायर की गई अपीलों पर सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष राज शेखर अत्री और समिति के सदस्य पद्म पांडे और राजेश के आर्य की पीठ ने यह आदेश पारित किया है. वहीं, जिला आयोग में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि जब वह हरियाणा राज्य परिवहन की बसों में यात्रा कर रहा था, तो उस दौरान उसकी बस में ड्राइवर और कंडक्टर धूम्रपान कर रहे थे. इस दौरान शिकायतकर्ता ने ये मामला परिवाहन विभाग के सीनियर अधिकारियों के सामने भी उठाया गया था, लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ.


बस किराए की रकम वसूलने वाले मामले में याचिका की खारिज



गौरतलब है कि ऐसे में शिकायतकर्ता ने उनके द्वारा मुआवजे के भुगतान और बसों के संचालन के दौरान धूम्रपान करने वाले उस बसों के ड्राइवर और कंडक्टरों को सजा दिलाने के लिए कंज्यूमर कोर्ट में शिकायतें दर्ज की गई. इस दौरान अशोक प्रजापत ने यह भी आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों ने परिवाहान विभाग द्वारा तय किए गए बस किराए से ज्यादा रकम भी वसूल की गई थी. हालांकि आयोग ने बस किराए के लिए ज्यादा राशि वसूलने को लेकर विभाग के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया 


बता दें कि जिला आयोग ने इस मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि यह विडंबना है कि शिकायतकर्ता अशोक कुमार प्रजापत ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है, जो आम जनहित का है और उसे इसी शिकायत के साथ बार-बार इस आयोग में आना पड़ता है, जबकि हरियाणा सरकार के सरकारी जगहों और बसों समेत सरकारी वाहनों में धूम्रपान नहीं करने के साफ तौर पर निर्देश जारी करने के बावजूद विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.


PGIMER को 20,000 रुपए देने का दिए निर्देश


गौरतलब है कंज्यूमर कोर्ट ने 7 अन्य अपीलों की अनुमति देते हुए प्रतिवादी विभाग को हर मामले में मुआवजे और मुकदमेबाजी में खर्च के तौर पर 5-5 हजार रुपए शिकायतकर्ता को देने और हर अपील जोकि 7 अपील के लिए पीजीआईएमईआर को 20,000 रुपए देने का निर्देश दिया. इन रुपए का इस्तेमाल पीजीआईएमईआर द्वारा कैंसर मरीजों के इलाज और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए किया जाएगा.

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