बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से आठवीं तक पढ़ाई को लेकर पेश जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि, याचिका को छत्तीसगढ़ी में क्या कहा जाएगा। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने जनहित के इस उद्देश्य की सराहना करते हुए कहा कि, अभी इसमें विस्तृत शोध और अध्ययन की जरूरत है। याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर का समय देते हुए दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई निर्धारित की गई है। छत्तीसगढ़ी महिला क्रांति सेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की है।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ने बताया कि एनसीईआरटी के नेशनल कैरिकुलम फ्रेम वर्क में कहा गया है कि, मातृभाषा से यदि पढ़ाया जाता है तो बच्चों को पढ़ाई करने और समझने में आसानी होती है। इस याचिका में प्रदेश के स्कूल में पहली से 8 वीं तक के पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को भी माध्यम बनाए जाने मांग की है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस तरह अन्य राज्यों में वहां की मातृभाषा मे पढ़ाया जाता है, वैसे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा में क्यों नहीं पढ़ाया जाता है। एनसीईआरटी ने भी तीन भाषा हिंदी, इंग्लिश, और मातृभाषा की पढ़ाई को मंजूरी दी है। आज इस मामले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीश वर्मा ने बताया कि इसके लिए प्रदेश की चार भाषाओं में पढ़ाई के लिए समिति बनाई गई है। इसमें सरगुजिहा, छतीसगढ़ी, सादरी, गोंड़ी, हल्बी भाषा शामिल है।
काेर्ट ने पूछा केवल विषय की पढ़ाई हाेगी या पूरा माध्यम हाेगा स्थानीय भाषा का
बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जानना चाहा कि, सिर्फ विषय की पढ़ाई होनी है या पूरा माध्यम ही स्थानीय भाषा का होगा। इस पर बताया कि, माध्यम ही इसका होना चाहिए। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि, आपका उद्देश्य अच्छा है, मगर अभी काफी रिसर्च की जरूरत है। याचिकाकर्ता के वकील ने शासन के जवाब का अध्ययन करने समय देने अनुरोध किया। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर 2 सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की है। डीबी में शामिल जस्टिस चन्द्रवंशी ने याचिका का छतीसगढ़ी शब्द पूछा, इसे अधिवक्ता बता नहीं सके। कोर्ट ने पहली के सभी विषयों की छतीसगढ़ी किताबें मंगाई हैं।
दैवेभो कर्मियों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें डीईओ-हाईकाेर्ट
शिक्षा विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी कोंडागांव को इन सबके अभ्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया है। जिला कोंडागांव के विकासखंड माकड़ी के अंतर्गत रहने वाले हेमंत कुमार महावीर हितेश कुमार नायक दीपक कुमार पांडे अशोक कुमार देवेंद्र कुमार चिंता हरण नाग गायत्री गीता कोराम सुशीला प्रधान कुमारी रीता पांडे पुखराज दीवान पुरुषोत्तम सेठिया यशवंत कुमार हितेश्वरी प्रवीण कुमार फुलेश्वरी रोशन लाल बघेल अघ्नतींन कुमारी अश्वनी कुमारी सावित्री कुमारी हितेंद्री लीलावती ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के मार्फत हाईकोर्ट में इस आशय की याचिका प्रस्तुत की थी कि, वे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भृत्य के पद पर कोंडागांव जिले के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में कार्यरत थे।
2018- 2019 में इन्हें काम से पृथक कर दिया गया था। जिला शिक्षा अधिकारी कोंडागांव द्वारा माह अगस्त 2019 के बाद से याचिकाकर्तागण को काम पर नहीं रखा जा रहा है, जबकि जिला कोन्डागांव के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में भृत्यो के पद पर अभी भी डेली वेजेस पर भृत्य, माली इत्यादि पदों पर रखा जा रहा है, परंतु याचिकाकर्तागण जो की पूर्व में स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत कोन्डागांव गांव जिले के विभिन्न स्कूलों में अपनी सेवा दे चुके हैं उन्हें प्राथमिकता देते हुए काम पर नहीं रखा जा रहा है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने आज बुधवार को सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि जिला शिक्षा अधिकारी कोंडागांव याचिकाकर्तागण द्वारा उनकी पुनर्नियुक्ति के संबंध में प्रस्तुत अभ्यावेदनपर सहानुभूति पूर्वक विचार कर इनके अभ्यावेदन का तत्काल निराकरण करें।