छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर जिला कलेक्टर अवनीश शरण को सिम्स की अव्यवस्थाओं के संबंध में रिपोर्ट पेश करने कोर्ट बुलाया। जिसके बाद कोर्ट में बिना ड्रेस कोड के कलेक्टर को देखकर हाईकोर्ट ने कहा आपकी ड्रेस कहा है साहब। कम से कम टाई तो लगाकर आ जाते। कलेक्टर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वे ऑफिस में थे ऐसे में उन्हें तुरंत ही मामूल हुआ कि कोर्ट में उन्हें बुलाया गया है जिसके कारण ड्रेस कोड को फॉलो नहीं कर पाए। कलेक्टर के लिए कोट, पैंट व टाई ड्रेस कोड निर्धारित है। इस वजह से कोर्ट ने फटकार लगाई। वहीं सिम्स के हालत पर भी रिपोर्ट मांगी।

बता दें, हाईकोर्ट ने बिलासपुर स्थित सिम्स अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर पहले भी राज्य शासन को व सिम्स के डॉक्टरों को फटकार लगाई है। लेकिन वहां की व्यवस्था है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है। हाईकोर्ट ने इसी संबंध में कलेक्टर अवनीश शरण को बुलाया। जिसमें अवनीश शरण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सिम्स में लगातार निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लिया जा रहा है। आज भी सुबह वहां निरीक्षण करने पहुंचे। अधिकारियों व कर्मचारियों से वहां पर दिए गए निर्देश का पालन करने के संबंध में चर्चा भी की। वहीं मरीजों से भी मिलकर जानकारी ली गई। सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के डिवीजन बेंच में हुई। इस मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी।

कलेक्टर ने कहा सप्ताह भर में करेंगे सब ठीक
कलेक्टर अवनीश शरण ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें सात दिन की मोहलत दीजिए हम सब ठीक करेंगे। साथ ही कहा कि लगातार निगरानी करेंगे। हर दूसरे दिन औचक निरीक्षण करेंगे। व्यवस्था सुधारने में रोड़ा बनने वाले अफसरों व स्टॉफ पर कार्रवाई करेंगे।

डीन से पूछा क्या किया इतने दिनों तक
कोर्ट में कलेक्टर के साथ सिम्स के डीन केके लहरे भी पहुंचे थे। कलेक्टर के पीछे खड़े थे जज ने पूछा कि ये कौन है तब कलेक्टर ने कहा कि ये सिम्स के डीन है कोर्ट ने डीन को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि 2021 से क्या कर रहे है। इतनी अव्यवस्था कैसे है वहां पर। आपने इतने दिनों तक क्या किया है। फिर कहा कि राउंड लेने की व्यवस्था आपने सुधार ली हैै क्या।

कलेक्टर ने बताई सिम्स की गड़बड़ी
कलेक्टर अवनीश शरण ने सिम्स में लगातार बनी हुई इस अव्यवस्था के लिए कारण बताए। उन्होंने कहा आधारभूत संरचना में कमी को काफी हद तक सुधार लिया गया है। चिकित्सक व नर्स समय पर नहीं पहुंच रहे है। कुछ चिकित्सक निजी प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान दे रहे है। जिसके कारण सुधार नहीं हो पा रहा है।

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