सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सहित छह महानगरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथों से मैला ढोने, साफ करने और मैनुअल सीवर सफाई पर प्रतिबंधित लगा दिया है। शीर्ष अदालत ने इस मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ‘केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई के उन्मूलन पर कोई स्पष्टता नहीं है। पीठ ने कहा कि इसलिए, हम दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद महानगर में मैनुअल सीवर सफाई और मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। पीठ ने कहा है कि प्रत्येक महानगर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (संबंधित शहरों में उन्हें जो भी नाम दिया जाता है) को निर्देश दिया कि वे एक सटीक हलफनामा दायर करें, जिसमें यह बताया जाए कि शहर में मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर सफाई कैसे और कब बंद की जाती है। इसके लिए 13 फरवरी तक का वक्त दिया है। शीर्ष अदालत ने डॉ. बलराम सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में, मैनुअल स्कैवेंजरों के रोजगार और शुष्क शौचालयों के निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 के साथ-साथ मैनुअल स्कैवेंजरों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों को प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की गई है।
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हम कानून का पालन सुनिश्चित करने वाले आदेश पारित करने से परेशान हो गए हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। पीठ ने पिछले साल 11 दिसंबर को केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह 20 अक्टूबर, 2023 के मुख्य आदेश का अनुपालन किस हद तक किया गया है, इसका आकलन करने के लिए 2 सप्ताह के भीतर संबंधित राज्यों के हितधारकों के साथ केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक बुलाए। साथ ही स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था। केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पूरे देश के 775 जिलों में से 456 जिलों में अब हाथ से मैला ढोने की प्रथा नहीं है। जब पीठ ने देश की राजधानी दिल्ली के बारे में जानकारी मांगा तो बताया गया कि ैअभी यहां आदेश का पालन नहीं किया गया है।
दूसरी तरफ मामले में नियुक्त न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेशर ने पीठ के समक्ष केंद्र द्वारा पेश आंकड़ों पर सवाल उठाया और कहा कि इनमें से कुछ जिलों में, कानून द्वारा अनिवार्य समिति का गठन भी नहीं किया गया है। कुछ राज्यों ने समितियों के गठन से पहले डेटा दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय समिति ने 19 अक्टूबर, 2024 को बैठक की थी, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक समिति गठित करने और मैनुअल स्कैवेंजर्स का एक नया सर्वेक्षण राष्ट्रीय सर्वेक्षण करने की सलाह दी गई थी। यह सर्वेक्षण अभी पूरा होना बाकी है। इस पर जस्टिस धूलिया ने मौखिक रूप से कहा कि ‘यदि वे झूठे हलफनामे दाखिल कर रहे हैं, तो वे सीधे अवमानना के दोषी हैं। सुनवाई के बाद पीठ ने दिल्ली सहित छह महानगरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथों से मैला ढोने, साफ करने और मैनुअल सीवर सफाई पर प्रतिबंधित लगा दिया।