बिलासपुर । जांच में दोषमुक्त हो चुके शासकीय सेवक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण निरंतर नहीं चल सकता। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराधिक प्रकरण निरस्त करने का आदेश दिया। विभागीय जांच के बाद दोषमुक्त होने के बाद भी कार्यपालन यंत्री के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी गई थी।
राजनांदगांव गांव जिले के डोंगरगढ़ में जल संसाधन विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री डीसी जैन ने वहां तीन स्टॉप डेम बनाने की तकनीकी स्वीकृति दी थी। इसके आधार पर टेंडर हुआ और वर्क ऑर्डर जारी किया गया। तीन स्टॉप डेम में से एक में काम पूरा हो गया था।
दूसरे और तीसरे में 40 और 25 प्रतिशत ही काम हुआ था। मगर कार्य प्रगति पर था। बहाव क्षेत्र को छोड़कर अन्य भाग में निर्माण हुआ था। इस बात की शिकायत कर दी गई कि काम पूरा नहीं हो सका है। आरईएस विभाग कार्यपालन यंत्री ने इस मामले में जांच की। इसके बाद कहा कि कार्य अपूर्ण है। इसके साथ ही पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
प्रथम सूचना रिपोर्ट के बाद श्री जैन को आरोप पत्र भी दिया गया। विभागीय जांच का निष्कर्ष आने पर दोषसिद्धि नहीं हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि उन्होंने तकनीकी स्वीकृति दी थी और बहाव क्षेत्र को पहले छोड़ना ही पड़ता है। यह कार्य अभी प्रगति पर है। याचिकाकर्ता ने उसके विरुद्ध दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट और प्रकरण निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय का उल्लेख किया गया जिसमें साफ किया गया है कि जांच में दोषमुक्त हो चुके शासकीय सेवक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण नहीं चल सकता है।