राजस्थान के बारां जिले में एक बड़े प्रोजेक्ट की वजह से 1.19 लाख पेड़ काटने का मामला गरमा गया है। यह प्रोजेक्ट बिजली बनाने के लिए है, जिसे पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट कहते हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए शाहाबाद क्षेत्र के जंगल की जमीन चुनी गई है। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए अब जोधपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में खुद संज्ञान लिया है।

कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय और अधिकारियों को बनाया पार्टी
जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी और मुन्नूरी लक्ष्मण की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खुद ही संज्ञान लिया और इसे एक याचिका के तौर पर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय और अधिकारियों को भी पार्टी बनाया है। कोर्ट ने इस मामले में विशेषज्ञों की राय लेने की बात भी कही है। कोर्ट ने कहा, ‘हमें इस बात की बहुत चिंता है कि कुनो नेशनल पार्क से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर इतने सारे पेड़ काटने की योजना है।’कोर्ट ने यह भी गौर किया कि 450 हेक्टेयर जमीन लगभग 22.5 लाख मीट्रिक टन कार्बन सोखती है। इस जमीन के नष्ट होने पर जलवायु परिवर्तन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।

प्रोजेक्ट के लिए क्या कोई दूसरी जगह मिल सकती है: हाई कोर्ट
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस मामले में यह भी सोचा जाए कि क्या इन पेड़ों को बचाया जा सकता है? क्या इस प्रोजेक्ट के लिए कोई दूसरी जगह मिल सकती है? क्या यहां काटे जाने वाले पेड़ों की भरपाई के लिए उसी इलाके में पौधे लगाए जा सकते हैं?

हालांकि, कोर्ट ने अभी इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के वकीलों से अपील की है कि वे इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें। सरकारी वकीलों ने कोर्ट को बताया है कि अगले 15 दिनों तक पेड़ों की कटाई का कोई खतरा नहीं है क्योंकि राज्य सरकार से अभी पहले चरण की मंजूरी मिलना बाकी है।

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