मुख्य न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार (9 अक्टूबर, 2024) को कहा कि अपने कार्यकाल को लेकर उनके दिमाग में कई सवाल घूमते रहते हैं कि भविष्य में जो जज और वकील आएंगे उनके लिए वह क्या विरासत छोड़कर जाएंगे। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे रिटायरमेंट का वक्त करीब आ रहा है, भूतकाल और भविष्य को लेकर उनके मन में कई सवाल हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ भूटान के जेएसडब्ल्यू लॉ स्कूल के कोनवोकेशन सेरेमनी में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने अपने रिटायरमेंट पर बात की। जस्टिस चंद्रचूड़ अगले महीने नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। वह दो साल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि रिटायरमेंट को लेकर जो सवाल उनके दिमाग में घूम रहे हैं, वह जानते हैं कि इनका उन्हें जवाब नहीं मिलेगा।
सीजेआई ने कहा, ‘दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद नवंबर मैं चीफ जस्टिस का पद छोड़ने जा रहा हूं। जैसी कि मेरा कार्यकाल खत्म हो रहा है, मेरा दिमाग भविष्य और भूतकाल के डर को लेकर कई सवालों से घिर चुका है। मैं सोचता हूं कि क्या मैने वो हासिल कर लिया जो मैं करना चाहता था, इतिहास मेरे कार्यकाल को कैसे जज करेगा, क्या मैं कुछ अलग करने में सफल हो पाया, मैं भविष्य के जजों और वकीलों के लिए क्या विरासत छोडूंगा?’
सीजेआई ने आगे कहा कि इन सवालों के जवाब उनके नियंत्रण में नहीं हैं और शायद कुछ सवालों का जवाब कभी मिलेगा भी नहीं। बस इतना पता है कि दो साल चीफ जस्टिस का पद संभालते वक्त पूरी ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने अपने काम को पूरा योगदान देने की कोशिश की है और देश के लिए अत्यंत समर्पण देने की उन्हें संतुष्टी है। उन्होंने कहा, ‘मैं रोज सुबह उठकर खुद से वादा करता हूं कि अपने काम में पूरा योगदान दूंगा और रात को इस संतुष्टी के साथ सोने जाता हूं कि पूरे समर्पण के साथ मैंने देश की सेवा की है। इसी में मैं सांत्वना ढूंढता हूं।’ सीजेआई ने कहा कि बचपन से ही उनमें दुनिया में बदलाव लाने का जोश था और वह कई-कई घंटों तक काम किया करते थे।
उन्होंने कहा कि हमारी जो जर्नी है उसमें हम खुद को भूल जाते हैं। जब किसी प्रोजेक्ट के लिए काम करते हैं तो हम पूरे मन से उसमें लग जाते हैं और उस जर्नी का आनंद नहीं ले पाते क्योंकि दिमाग में फेल होने का डर रहता है और इन डर को दूर करना किसी के भी लिए आसान नहीं है। हालांकि, पर्सनल ग्रोथ के लिए इन डर का सामना करके इन्हें दूर करना जरूरी है।