तलाक और मेंटिनेंस के नाम पर पुरुषों को ठगने वाली एक महिला को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। महिला पर आरोप है कि वह मेंटिनेंस पाने के लिए पहले केस करती थी, बाद में समझौता कर केस वापस ले लेती थी। इस मामले में महिला समेत उसके दो वकीलों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था। इस मामले में महिला की ओर से सुनवाई में देरी के नाम पर जमानत याचिका दाखिल की गई थी। इससे पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट और सेशन कोर्ट से भी उसकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी।

इस मामले में एक शख्स ने दावा किया वह उस महिला से कभी मिला ही नहीं है। उसमे मेंटिनेंस का केस फाइल किया है। पीड़ित ने कोर्ट में कहा कि महिला ने अपने दो वकीलों के साथ मिलकर तीन अन्य लोगों पर भी इसी तरह का केस किया है। वह फर्जी नाम के साथ इस तरह के केस करती है। कोर्ट को बताया गया कि दो केसों में कोर्ट के बाहर शेटलमेंट हो गया और फिर केस वापस ले लिया गया।

शख्स की याचिका के बाद कोर्ट ने मामले की जांच करने का आदेश दिया था। जांच में सामने आया कि महिला दो वकीलों के साथ मिलकर पहले लोगों को फर्जी केस में फंसाती थी फिर कोर्ट के बाहर सेटलमेंट कर केस वापस ले लेती थी। इस मामले में महिला के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल हो गई।

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसजी मेहारे की बेंच ने महिला के जमानत याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निचली अदालत में हुई सुनवाई के मुताबिक मामला सच लगता है। कोर्ट ने पाया कि महिला का पास्ट भी अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में अगर महिला को जमानत दी गई तो वह फरार हो सकती है। जस्टिस मेहारे ने कहा कहा कि ट्रायल कोर्ट कोशिश कर रहा है कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए। हालांकि हर बार यह नियंत्रण में नहीं होता है। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को इस मामले में अदालत को सपोर्ट करना चाहिए जिससे केस को जल्द निपटाया जा सके।

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