निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में मौत की सज़ायाफ्ता चार दोषियों में से एक, अक्षय कुमार सिंह की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को खारिज कर दिया।

जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर बानुमथी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने क्यूरेटिव याचिका में कोई गुण नहीं पाया।

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 1 फरवरी को सभी चार दोषियों की फांसी के लिए मौत का वारंट जारी किया था।

14 जनवरी को 5-न्यायाधीश की पीठ ने मुकेश सिंह और विनय शर्मा क्यूरेटिव याचिकाओं को खारिज कर दिया था। मुकेश ने बाद में राष्ट्रपति के समक्ष एक दया याचिका प्रस्तुत की, जिसे 17 जनवरी को खारिज कर दिया गया।

बुधवार को जस्टिस आर बानुमथी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देने वाली मुकेश की रिट याचिका को खारिज कर दिया।

अक्षय कुमार सिंह ने क्यूरेटिव याचिका में सजा को कम करने की मांग की थी। इसी के साथ एक फरवरी को फांसी देने के लिए जारी डेथ वारंट के टलने के आसार और बढ़ गए हैं। अक्षय के पास हालांकि अभी राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने का संवैधानिक अधिकार अभी भी मौजूद है।

गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया था। 17 जनवरी को मुकेश की दया याचिका खारिज होने पर अदालत ने नया डेथ वारंट जारी कर एक फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी देने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया।

ये वारंट शत्रुघ्न चौहान मामले में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के आधार पर दिया गया जिसमें कहा गया था कि दया याचिका खारिज होने के बाद सजा के लिए कम से कम 14 दिनों का समय दिया जाना चाहिए।

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