जाने क्या हैं पैरोल ,पैरोल का सीधा साधा अर्थ है की , जब कोई भी व्यक्ति अपराध करता है, तो उस व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है , गिरफ़्तार किये गए उस आरोपी व्यक्ति को पुलिस द्वारा मजिस्ट्रेट या कोर्ट के सामने 24 घंटे के भीतर हाजिर करना होता है , कोर्ट में उस व्यक्ति के अपराध के अनुसार न्यायाधीश के द्वारा सजा सुनाई जाती है, जिसके बाद उस व्यक्ति को जेल में भेज दिया जाता है।
अब मान लीजिये उस दोषी व्यक्ति को 10 दिन की जेल की सजा सुनाई है, ऐसे में उस बंदी व्यक्ति को उसकी सजा की अवधि पूरी न हुयी हो या सजा की अवधि समाप्त होने से पहले उस व्यक्ति अस्थाई रूप से जेल से रिहा कर देने को ही पैरोल कहते है। यह पैरोल बंदी व्यक्ति के अच्छे आचरण को नजर में रखते हुए दी जाती है।
पैरोल पाने के लिए बंदी व्यक्ति के वकील द्वारा एक आवेदन दाखिल करना होता है। पैरोल गंभीर से गंभीर अपराध के अपराधियों को मिल सकती है।
यदि किसी आरोपी व्यक्ति का मुकदमा न्यायालय में चल रहा है, तो ऐसे में उस आरोपी व्यक्ति के पैरोल के लिए आवेदन; उसी न्यायालय में दिया जायेगा , इस आवेदन के आधार पर न्यायालय उस बंदी व्यक्ति को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दे सकती है।
यदि आरोपी व्यक्ति पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते है, और उस व्यक्ति के न्यायाधीश के आदेश पर जेल की सजा मिल जाती है , तो उस बंदी व्यक्ति के पैरोल के लिए आवेदन प्रशासन या जेल अध्यक्ष को दी जाएगी , इस आवेदन के आधार पर उस व्यक्ति को पैरोल पर रिहा किये जाने का आदेश दिया जा सकता है।
किन आधारों पर बंदी व्यक्ति / कैदी को पैरोल मिल सकती है ?
पैरोल मिलने के कुछ नियम, शर्ते और आधार है, जिनके आधार पर ही न्यायालय या जेल प्रशासन के द्वारा पैरोल पर रिहा करने आदेश दिया जा सकता है। एक मुक़दमे के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा की लम्बी अवधि सजा वाले दोषी कैदियों को अस्थाई पैरोल पर रिहा किया जाना चाहिए।
Temporary Parole अस्थायी पैरोल का मतलब यह कि बंदी व्यक्ति को कुछ समय के लिए जेल से रिहा किया जाता है, और जब यह पैरोल की अवधि समाप्त हो जाती है, तो उस व्यक्ति दुबारा पुलिस द्वारा जेल में भेज दिया जाता है।
अब हम बात करेंगे पैरोल के आधार के बारे में।
यदि अपराधी के घर या परिवार में किसी भी प्रकार का कोई उत्सव होता है,या उस अपराधी के घर या परिवार में किसी प्रकार की दुर्घटना घटती है , तो ऐसे वह बंदी / कैदी व्यक्ति पैरोल पर कुछ समय के लिए रिहा किया जा सकता है।
यदि कैदी के परिवार में उसकी बेटी की शादी है , तो वह उसके शादी के लिए पैरोल पर रिहा होने के लिए आवेदन दे सकता है, क्योकि हमारे हिन्दू धर्म में बेटी का कन्या दान उसके माता- पिता के द्वारा ही किया जाता है।
यही कैदी के परिवार या उसके बेटे, बेटी, पत्नी या बूढ़े माता पिता की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे में वह उनके क्रिया कर्म के लिए पैरोल की मांग कर सकता है और उसको पैरोल पर रिहा किया जायेगा।
यदि अपराधी को जेल की सजा मिलने मिलने से पहले उसका किसी प्रकार का कोई सरकारी कार्य अधूरा रह गया हो या पूरा न हुआ हो , तो उस सरकारी कार्य को पूरा करने के लिए पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
यदि अपराधी जो की जेल में बंद है, उस कैदी के अपने परिवार में उसकी पत्नी, बच्चे , बूढ़े माता पिता यदि बीमार है,और इनकी देख -रेख करने वाला कोई भी परिवार में नहीं है, तो ऐसे में अपनी बीमार पत्नी ,बच्चो, बूढ़े माता -पिता के ईलाज और देख भाल के लिए पैरोल का आवेदन दे कर कुछ समय के लिए जेल से रिहा हो सकता है।
यदि अपराधी अपने परिवार का एकलौता भरण पोषण करने वाला था, तो ऐसे में कैदी अपने परिवार के भरण पोषण के लिए पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।
यदि अपराधी का कोई या उसके पारिवारिक या रिस्तेदार का कोई सरकारी कार्य है ,तो उसके लिए वह पैरोल ले सकता है।
यदि अपराधी का कोई कार्य बैंक में रुका है या अधूरा है या जरुरी है , तो उसको पूरा करने के लिए पैरोल ले सकता है।
यदि कैदी की कोई भी संतान नहीं है,ऐसे में वह कैदी और उसकी पत्नी की सहमति के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए पैरोल के लिए आवेदन दिया जा सकता है, लेकिन इस प्रकार की पैरोल सजायाफ्ता कैदी (Convicted Prisoner) को ही मिलती है, इस पैरोल के आवेदन पर बोर्ड निर्णय लेता है, इसमें जेल प्रशासन या जेल अध्यक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
यदि अपराधी को अपनी संपत्ति बेचनी है, या उस संपत्ति को अपने किसी परिवार वाले या किसी रिस्तेदार के नाम स्थानांतरण करना चाहता है, तो उसके लिए कैदी पैरोल ले सकता है।
यदि अपराधी अपनी संपत्ति की वसीयत बनाना चाहता है, की उसके जीते जीते उसके बच्चो के बीच उसकी संपत्ति का सही से बिना की झगड़े के संपत्ति का बटंवारा हो जाये , इसके लिए पैरोल ले सकता है।
यदि कैदी किसी ऐसे रोग से ग्रसित है या गंभीर रूप से बीमार है, और उसका ईलाज जेल के चिकित्सालय में नहीं हो सकता है , तो ऐसे में ईलाज के लिए उस कैदी को पैरोल पर रिहा किया जायेगा।
पैरोल मिलने के नियम व् शर्ते क्या है, जो की पैरोल की मांग करने वाले कैदियों को इनका पालन करना पड़ता है?
पैरोल पर रिहा होने वाले हर कैदियों को अच्छे नागरिक की तरह ही जीवन बिताएगा।
कैदी किसी भी प्रकार का कोई भी नशा नहीं करेगा।
कैदी किसी भी कोठे पर, वैश्या के पास नहीं जायेगा।
कैदी शराब के किसी भी अड्डे पर नहीं जायेगा।
कैदी के द्वारा पैरोल की आवेदन पर दिए गए पते पर ही रहेगा, उस पते को छोड़ कर किसी भी स्थिति में बाहर नहीं जायेगा।
कैदी कानून का पालन करेगा, और कानून का उल्लंघन करने की कोशिश भी नहीं करेगा।
कैदी किसी दूसरे अपराधियों से नहीं मिलेगा।
कैदी जुवा, सट्टेबाजी जैसा कोई भी गैर कानूनी खले नहीं खेलेगा।
कैदी जब पैरोल पर रिहा किया जायेगा, तो वह उस व्यक्ति से नहीं मिलेगा जिसकी शिकायत के आधार पर उसको सजा मिली है, और न ही शिकायतकर्ता के खिलाफ किसी प्रकार का कोई अपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy) रचेगा।
यदि कैदी को पैरोल पर रिहा किया गया है की वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके, तो वह अपने रोजगार को बदलेगा नहीं, यदि रोजगार बदलना पड़े तो ऐसे में इसकी कारण बताओ सूचना जेल अध्यक्ष , प्रशासन या न्यायालय को देनी होगी।
कैदी समाज में ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेगा जिसके कारण से समाज में अशांति पैदा हो. और न ही कैदी किसी भी प्रकार का कोई भी नाच गान नहीं करेगा।
कैदी को अपने कार्य पूरा करने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया है, तो वह उस कार्य के लिए ही सूर्यास्त के बाद तक बाहर रह सकता है इसके अलावा नहीं, सूर्यास्त के बाद कैदी अपने घर में ही रहेगा।
कैदी किसी भी प्रकार का कोई भी हथियार नहीं खरीदेगा और न ही अपने पास रखेगा।
कैदी किसी भी जिव-जंतु का शिकार नहीं करेगा।
कैदी जब पैरोल रिहा होगा, तो वह किसी दूसरे अपराधी को न ही पत्र लिखेगा और न ही किसी भी प्रकार का कोई आपसी सम्बन्ध रखेगा।
कैदी देर रात तक बाहर नहीं घूमेगा और न ही घर से बाहर रहेगा।
यदि कैदी अविवाहित है और वह पैरोल मिलने के बाद विवाह करना चाहता है, तो उसको न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।
यदि कैदी इन सभी नियम, शर्तो और आधार का पालन करता है, तो उस कैदी को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दे दिया जायेगा।
यदि कैदी पैरोल पर रिहा होता है, और वह अपराधी दुबारा अपराध करता है तो उस अपराधी को दुबारा पैरोल पर रिहा नहीं किया जायेगा।