लखनऊ। लखनऊ में सीएए विरोधी हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए लगाए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकती है, लेकिन उसे मनमानी करने का हक नहीं है। सोमवार को हुई सुनवाई में यूपी के महाधिवक्ता की दलीलों पर हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट पीड़ित के आने का इंतजार नहीं कर सकती।
यूपी के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों को पूरी जांच व प्रक्रिया अपनाने के बाद अदालत से नोटिस भेजा गया, मगर कोई भी सामने नहीं आ रहा है। इसके बाद ही सार्वजनिक स्थानों पर आरोपितों के फोटो चस्पा किए गए। उन्होंने कोर्ट से लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के ऐसे मामलों में दखल से बचने की अपील करते हुए कहा था कि पीड़ित खुद कोर्ट आ सकते हैं। महाधिवक्ता की आपत्तियों का जवाब देते हुए कोर्ट ने कहा कि मेरठ में भी ऐसा किया गया है। अमूमन अदालत में आने पर ही हस्तक्षेप का अधिकार होता है, पर जहां लापरवाही से मूल अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो वहां कोर्ट किसी के आने का इंतजार नहीं कर सकता। सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकती है, लेकिन उसे मनमानी करने का हक नहीं है। कोर्ट में सरकार यह भी नहीं बता सकी कि उसने किस कानून के तहत कार्रवाई की है।