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जमानत मिलने का यह मतलब नहीं कि समर्थकों के साथ शहर में रैली/जुलूस निकाला जाए! आखिर में परेशानी तो जनता को उठानी पड़ती है। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख लहजे में जमानत पर छूटने वालों को चेतावनी दी है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकत पर जमानत खारिज की जा सकती है। दो जजों की बेंच ने हत्या के मामले में जमानत पर छूटे सोपान गाडे के मामले में यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल के वाकये पर नाराजगी जताई। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के नेवासा में रहने वाले गाडे के खिलाफ हत्या समेत कई मुकदमे दर्ज हैं। मर्डर केस में उसकी जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। जमानत मिलने के बाद, कथित रूप से इलाके के लोगों में खौफ पैदा करने के लिए गाडे ने दसियों कारें और बाइक्स की रैली निकाली।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्‍वनाथन की बेंच बेहद नाराज थी। अदालत ने कहा, ‘नेताओं की आदत बन गई है कि वे जमानत मिलने के बाद समर्थकों के साथ शहर में घूमकर रैली निकालते हैं। जब सोपान के वकील ने कहा कि रैली गाडे के समर्थकों ने निकाली थी, तब SC ने ‘आप मोटरसाइकिलों का काफिला और रैली निकालने के लिए माफी मांगिए। आप एक हलफनामा भी दाखिल कीजिए कि आप भविष्य में कभी भी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे।

पिछले साल क्या हुआ था?

गाडे के खिलाफ 2013 में दर्ज हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी क्रिमिनल बैकग्राउंड देखकर जमानत नहीं दी। हालांकि, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने यह मानते हुए जमानत दे दी कि वह लगभग एक दशक से जेल में बंद है। जमानत मिलने के बाद नेवासा में कार-बाइक रैली निकाली गई।

मंगलवार को शिकायतकर्ता आसिफ खान ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ‘पिछले साल 16 दिसंबर को, लोगों में अपना डर पैदा करने के लिए सोपान गाडे ने अपनी चार पहिया गाड़ी के साथ 100 से 150 और चार पहिया वाहनों और 70 से 80 दोपहिया वाहनों के साथ एक रैली निकाली। इस रैली का सोशल मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट किया गया। लोगों ने आरोपी के सम्मान में पटाखे फोड़े, जेसीबी से फूल बरसाए। काफिले की वजह से एनएच पर पांच से छह घंटे तक ट्रैफिक जाम रहा।

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