भरत सोनी
(अधिवक्ता वाणी) कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से देश की आम जनता ही नहीं सभी वर्ग विशेष के लोग भी पीड़ित व प्रभावित हैं। लॉक डाउन की घोषणा के बाद जहाँ आम जनता के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है वहीँ देश का विद्वान् वर्ग अर्थात अधिवक्ता समुदाय भी इस भयंकर पीड़ा से गुजर रहा है। वकीलों के समक्ष अपने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी का भार है तथा न्यायालयीन कार्य भी लॉक डाउन की स्थिति में बंद हैं ऐसे में वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर युवा वकीलों को प्रतिमाह 20,000/- राशि देने का आग्रह किया है।
बीसीआई ने युवा वकीलों को प्रति माह 20,000 रुपए केंद्र सरकार और / या राज्य सरकार के कोष से निर्वाह भत्ता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया कि “पूरी दुनिया और पूरा देश सबसे कठिन समय से गुजर रहा है जिसे हमने अपने जीवनकाल में कोरोना वायरस के खतरे के कारण देखा है।” आवश्यक सेवाओं वाले व्यवसायों को छोड़कर, सभी व्यवसाय लॉकडाउन की स्थिति में चले गए हैं। नतीजतन, अधिवक्ताओं और अदालत सीमित / प्रतिबंधात्मक मोड में काम कर रही हैं, पत्र में कहा गया है: “वकालत एक नेक पेशा है और हम इन कोशिशों में अपना समय लगा रहे हैं, जैसा कि अदालतों में पेश होने और हमारे मुवक्किलों की ओर से कानूनी और सही सामाजिक संतुलन को मानवाधिकार, और कानूनी अधिकारों के रूप में जीवित रखने में मदद करते हैं। हमारा कर्तव्य सामाजिक कर्तव्य, जिम्मेदारी और सेवा से कम नहीं है, जिसे हम अभी भी निर्वहन कर रहे हैं। ऐसे संकट के समय में, जब अदालतें प्रतिबंधित तरीके से काम कर रही हैं, काम और कमाई के अवसर बंद हो गए हैं। कार्य में कमी से युवा और जरूरतमंद अधिवक्ताओं के लिए मुश्किल होता है कि वे अपनी ज़रूरत पूरी कर सकें और अपने परिवार का पोषण कर सकें। पत्र में कहा गया है कि देश के अधिवक्ता अपनी रोज़ी रोटी कमाने की स्थिति में नहीं होने के बावजूद स्वास्थ्य और जीवन की प्रतिकूलता और जोखिम के सामना में अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। इस प्रकार, केंद्र / राज्य सरकार को तत्काल ध्यान देने और आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद ने भी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर राज्य के अधिवक्ताओं को 20,000/- रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग
एक ऐसा ही पत्र छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल के द्वारा भी मुख्यमंत्री व विधि मंत्री छग को लिखा गया है,उसमे भी राज्य में वकालत पेशे से जुड़े वकीलों को 20,000/- दिए जाने की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद् के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल ने बताया कि उनके द्वारा अधिवक्ताओं को लॉक डाउन की स्थिति में प्रभावित अधिवक्ताओं को 20,000/- प्रदान किए जाने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की गई है परिषद भी अधिवक्ताओं को त्वरित सहायता प्राप्त हो सके इस प्रयास में हैं।उन्होंने पत्र में लिखा हैं – कि छत्तीसगढ़ में न्यायलयीन कार्य पूर्णतः बंद हैं, और इस विषम परिस्थितियों में जनसामान्य और पक्षकारों के न्यायालय में नही आने से प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को आमदनी की समस्या हों रही हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में कार्यरत नए अधिवक्ता, जिला न्यायालय और दूरस्थ अंचल में स्थित राजस्व उपखंड और तहसील स्तर में पैरवी करने वाले अधिवक्ता आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं जिससे मकान किराया, भोजन दवाइयां तथा परिवार के जीवन यापन के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में मुश्किल हो रही हैं। वकीलों के हित में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने पूर्व में कोई व्यवस्था नही की हैं और वर्तमान परिस्थितियों में भी कोई निर्णय राज्य सरकार द्वारा नही लिया गया है। छत्तीसगढ़ बार काउंसिल को भी ऐसी आपात स्थिति में अधिवक्ताओं के सहयोग के लिए कोई व्यवस्था उपलब्ध नही कराई गई हैं। परिषद् के अध्यक्ष श्री चंदेल ने राज्य सरकार से इसे प्राथमिकता प्रदान कर अधिवक्ताओं को सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग की हैं।
पत्र में कहा गया है कि – छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद में लगभग 25000 अधिवक्ता पंजीकृत हैं और उनपर आश्रित परिवार भी है, जिनकी संख्या लगभग एक लाख हैं। जब तक COVID-19 के प्रकोप से निजात नही मिलती, जरूरतमंद वकीलों को राज्य अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ और जिला प्रशासन के माध्यम से कम से कम 20,000/- रुपये अथवा भोजन दवाइयां, तथा जीवन-यापन के लिए आवश्यक संसाधन तत्काल उपलब्ध करवाने की बात कही गई हैं। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक परिषद् के उपाध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी जैसी विषम परिस्थिति में जरूरतमंद अधिवक्ताओं की सहायता हेतु परिषद् संकल्पित है और त्वरित सहायता हेतु आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री व विधि मंत्री को सहायता हेतु पत्र लिखा गया है जिसका सकारात्मक जवाब अपेक्षित है। श्री शर्मा ने आश्वस्त किया है कि यथाशीघ्र आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
अधिवक्ता संघ रायपुर द्वारा अधिवक्ताओं के हित में एक सराहनीय पहल, आजीविका की समस्या से निपटने की लिए अधिवक्ताओं को 3000/- सहायता राशि प्रदान किए जाने का फैसला लिया गया
उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए तथा अधिवक्ता संघ रायपुर द्वारा अधिवक्ताओं के हित में एक सराहनीय पहल करतेहुए वर्तमान लॉक डाउन की स्थिति में अधिवक्ताओं को त्वरित सहायता दिए जाने व उनके समक्ष आजीविका की समस्या से निपटने की लिए 3000/- सहायता राशि प्रदान किए जाने का फैसला लिया गया है।
संघ के अध्यक्ष आशीष सोनी, उपाध्यक्ष दिनेश देवांगन, सचिव कमलेश पाण्डेय व कोषाध्यक्ष राकेश पुरी ने बताया कि जरूरतमंद व कनिष्ठ अधिवक्ता जो आर्थिक अभाव का सामना कर रहे हैं; उन्हें प्रारंभिक स्तर पर आंशिक सहायता प्रदान किए जाने हेतु संघ द्वारा यह निर्णय लिया गया है, जिससे संघ के जरूरतमंद व आर्थिक अभाव का सामना कर रहे अधिवक्ताओं को त्वरित उक्त आंशिक सहायता राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही संघ के पदाधिकारीयों ने संघ के वरिष्ठ व सक्षम अधिवक्ता साथियों से यह भी अपील की है जो अधिवक्ता साथी अपने साथियों को इस आपदा के समय सहायता व सहयोग करना चाहे तो स्वेच्छा से संघ को प्रदान कर सकता है ताकि संघ के माध्यम से जरुरतमंद व आर्थिक आभाव का सामना कर रहे अधिवक्ता साथियों को सहायता उपलब्ध कराई जा सके। उल्लेखनीय है कि आपदा की इस घडी में अधिवक्ता संघ रायपुर द्वारा अधिवक्ता हित में लिया गया निर्णय एक सराहनीय पहल है जो अन्य संघों के लिए अनुकरणीय भी है।
लॉक डाउन की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए वकीलों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की गई
उत्तर प्रदेश में भी वकीलों द्वारा लॉक डाउन की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमे वकीलों के पोषण / मानदेय के तहत 20,000/- दिए जाने की मांग की गई है तत्संबंध में अनुच्छेद 226 एवं 14 के तहत दायर की गई जनहित याचिका की प्रति मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश और एडवोकेट जनरल को भेजी गई है।