गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस जैसे विशेष दिन पर हर भारतीय, घर, स्कूल, या कार्यस्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहतें हैं। वर्ष 2004 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सम्मान और गर्व के साथ स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय झंडे को फहराने का अधिकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अनुसार एक नागरिक का मौलिक अधिकार है, वह राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और भावनाओं की अभिव्यक्ति गर्व से कर सकता है।”
तो आइए जानते हैं, भारतीय ध्वज संहिता की महत्वपूर्ण बाते जो भारतीय होने के नाते आपको अवश्य ही जाननी चाहिए
भारतीय ध्वज संहिता
भारत की ध्वज संहिता अलग-अलग संदर्भों में भारतीय झंडे के उपयोग के नियमों का एक समूह है और इसे 1968 में बनाया गया था। बाद में वर्ष 2002 और वर्ष 2008 में इसका अद्यतन किया गया था। वर्ष 2002 में भारत का ध्वज संहिता राज्य-चिह्न के प्रावधान के साथ प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के साथ और राष्ट्रीय सम्मान (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लिए अपमान की रोकथाम का विलय कर दिया गया था।
ध्वज संहिता का प्रथम भाग
ध्वज संहिता का प्रथम भाग मानक ध्वज के विवरण और आयाम के साथ संबंधित है।
भारतीय तिरंगा ध्वज तीन बराबर आयताकार पट्टियों से बना हुआ है –जिसमें शीर्ष पर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे वाली पट्टी में हरा रंग होता है। ध्वज की लंबाई और ऊँचाई का अनुपात 3:2 होता है।
बीच की पट्टी में गहरे नीले रंग के अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं।
एक मानक ध्वज हाथ से काटे गए और हाथ से बुने हुए ऊनी/सूती/सिल्क खादी के कपड़े से बनाया जाता है।
मानक ध्वज परिमाण
ध्वज आकार संख्या परिमाण मिलीमीटर में
1. 6300× 4200
2.3600 × 2400
3.2700 × 1800
4.1800 × 1200
5. 1350 × 900
6. 900 × 600
7. 450 × 300
8. 225 × 150
9. 150 × 100
ध्वज संहिता का द्वितीय भाग
भारतीय ध्वज संहिता का अगला भाग संशोधन प्रदर्शन संहिता के साथ संबंधित है और इसमें एक नागरिक के लिए ध्वज के संचयन/निपटान के लिए दिशा-निर्देश हैं।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा सम्मान की स्थिति में और जहाँ से ध्वज स्पष्ट रूप से दिखाई दे वहीं पर फहराना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज को सार्वजनिक भवनों पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जाना चाहिए।
झंडे को स्फूर्ति के साथ फहराना और झंडे को धीरे-धीरे व आदर के साथ उतारा जाना चाहिए।
झंडे की केसरिया पट्टी हमेशा सबसे ऊपर (शीर्ष प्रदर्शन के मामले में) और सटीक प्रदर्शित करके ही फहराना चाहिए। झंडे को उल्टा (केसरिया पट्टी को नीचे) प्रदर्शित करके फहराना अपराध है।
किसी फटे हुए या गंदे झंडे को प्रदर्शित करके फहराना भी एक अपराध है। किसी भी प्रयोजन के लिए राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जा सकता।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी उत्सव या सजावट के रूप में नहीं किया जाना चाहिए इसे जमीन से छूने नहीं दिया जाना चाहिए। यह एक विज्ञापन, परिधान या किसी भी तरह की चादर के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
इसे फाड़ा, क्षतिग्रस्त, जलाया या किसी भी तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता। फटे पुराने तिरंगे को सम्मान के साथ एकांत में जला देना चाहिए या इसे किसी अन्य तरीके से नष्ट कर देना चाहिए।
झंडे को आकर्षित करने के लिए उस पर किसी भी तरह का अभिलेख या भित्तिचित्र करना भी अपराध है।
झंडे के अपमान पर नेशनल ऑनर एक्ट 1971 (2003 में संशोधित) में झंडे को जमीन पर रखने जैसे कई अनादरों पर सजा का प्रावधान है। पहले अपराध पर 3 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना देना पड़ेगा। इसके बाद अपराधों में कम से कम एक वर्ष के लिए जेल कारावास से दंडित किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा-
“मैं राष्ट्रीय झंडे और लोकतंत्रात्मक संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी पंथ-निरपेक्ष गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ लेता/लेती हूं, जिसका प्रतीक झंडा है।“
भारतीय ध्वज संहिता का तृतीय भाग
भारतीय ध्वज संहिता की तृतीय धारा, रक्षा प्रतिष्ठानों को छोड़कर ध्वज को सही स्थान पर फहराने, रखने और निपटान करने जैसे दिशा-निर्देशों के साथ संबंधित है, जो अपने स्वयं के झंडा प्रदर्शन संहिता द्वारा शासित होते हैं। इन दिशा-निर्देशों के अधिकांश खंड द्वितीय के प्रदर्शन के दिशा-निर्देशों के समान हैं।
केवल सशस्त्र बलों के कर्मियों या राज्य या केंद्रीय पैरा सैनिक बलों के सदस्य के अंतिम संस्कार की स्थिति में, झंडा ताबूत को कवर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले कि व्यक्ति को दफनाया या दाह संस्कार किया जाए झंडे को हटा दिया जाना चाहिए।
जबकि परेड के दौरान जब झंडे को सलामी दी जाती है तो सभी लोगों को झंडे के सामने सावधान की स्थित में खड़े होना चाहिए, जबकि जो वर्दी वाले लोग हैं उन्हें सावधान की स्थित में झंडे को सल्यूट करते हुए खड़े होना चाहिए।
अन्य देशों के झंडे के साथ प्रदर्शित होने पर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को पंक्ति के किनारे से दाईं ओर (दर्शकों के बाईं ओर) या सर्कल की शुरुआत में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर और उच्च न्यायालयों, सचिवालयों, आयुक्तों के कार्यालय, जिला बोर्डों के जिलाधीश के कार्यालय, जेल, नगरपालिका और जिला परिषदों और विभागीय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और आधिकारिक निवासों में झंडा फहराया जाना चाहिए।
केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपालों और प्रतनिधि गवर्नर, प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों, भारतीय मिशनों के प्रमुखों/विदेश में पोस्ट, भारत के मुख्य न्यायाधीश और कुछ अन्य लोगों को संहिता के अनुसार अपनी कारों में राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति है।
राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या भारत के प्रधानमंत्री की मृत्यु पर या पूरे देश में राष्ट्रीय शोक पर आधा लहराया जाता है। एक राज्यपाल, उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री की मौत के मामले में, राष्ट्रीय ध्वज राज्य या संघ राज्य क्षेत्रों में आधा झुका लहराया जाता है। विदेश में भारतीय दूतवासों के मामले में, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज केवल राज्य के प्रमुख की मृत्यु या राज्य सरकार के प्रमुख की मृत्यु की स्थिति में आधा झुका लहराया जाता है।
झंडे को आधा झुकाने से पहले इसे ऊपर ऊठाया जाता है। इस स्थित का अर्थ होता है कि राष्ट्र को गर्वांवित करना और चिंता के साथ सम्मान से विदाई देना।
विश्विद्यालय परिसर में कम से कम 207 फुट ऊँची मस्तूल पर फहराये तिरंगा
18 फरवरी सन् 2016 को, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आदेश दिया था कि राष्ट्रीय ध्वज भारत के सभी केन्द्र प्रायोजित विश्वविद्यालयों के परिसर में कम से कम 207 फुट ऊँची मस्तूल पर फहराये जाएंगे।
2019 में आये उच्च न्यायालय के फैसले के बाद
अब 24 घण्टे फहरा सकते हैं, तिरंगा
2019 में आये छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब तिरंगे को 24 घंटे फहरा सकेंगे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले के बाद आदर, प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ आम आदमी अपने घर अथवा संस्थान में 24 घंटे राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा” फहरा सकता हैं।
बशर्ते तिरंगा सम्मान के साथ व आवश्यक नियमों को ध्यान में रखकर फहराया जाना चाहिये।