नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ब्याज पर ब्याज माफी को लेकर केंद्र द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा संतोषजनक नहीं है।
जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
पहले दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ करने को कहा था। इसका बोझ खुद केंद्र सरकार उठाएगी, जो अनुमानित तौर पर 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये होगा।
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के हलफनामे में 7 सितंबर की कामथ कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष क्षेत्र के उपायों के संबंध में कुछ भी नहीं है और केंद्र अपनी नीतिगत निर्णयों के कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी नहीं दी है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विभिन्न याचिकाओं में उठाए गए कई मुद्दों के साथ हलफनामा न्यायिक नहीं है। पीठ में अन्य दो जज न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह शामिल हैं।
रियल एस्टेट बॉडी CREDAI की तरफ से बात रखने वाले कपिल सिब्बल ने कहा –
‘सरकार के हलफनामे में बहुत से तथ्य एवं आंकड़े निराधार हैं।’
उन्होंने कहा कि सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए ताकि वो इस बारे में विस्तृत जानकारी दे सके। वहीं आर्यमा सुंदरम ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर को सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं दी गई है। इस सेक्टर को लोन रिस्ट्रक्चरिंग की भी सुविधा नहीं दी गई है। एक सितंबर 2020 से पूरा ब्याज देना पड़ रहा है।