हिमाचल हाईकोर्ट ने जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना से जुड़े मामले में हिमाचल सरकार को अडाणी को 280 करोड़ की अपफ्रंट मनी नहीं लौटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद नेगी की खंडबेंच ने एकल बेंच के फैसले को पलटते हुए ये आदेश दिए।
सरकार ने खंडबेंच के समक्ष दी थी चुनौती
हाईकोर्ट की एकल बेंच ने सरकार को आदेश दिए थे कि दो माह में राशि वापस करे नहीं तो सालाना 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी। एकल बेंच के इस फैसले को सरकार ने खंडबेंच के समक्ष चुनौती दी थी। बता दें कि सरकार ने अक्टूबर 2005 में 980 मेगावाट की इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के संबंध में टेंडर निकाले। ब्रैकल कॉरपोरेशन को सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया। इसे देखते हुए कंपनी ने प्रीमियम के तौर पर 280 करोड़ सरकार के पास जमा किए। ब्रैकल को यह राशि अडाणी ग्रुप ने दी थी।
‘ब्रैकल कंपनी ने धोखाधड़ी से सरकार से यह कान्ट्रैक्ट लिया था’
सरकार ने यह टेंडर ब्रैकल कंपनी के साथ किया। बाद में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने परियोजना रिलायंस कंपनी को देनी चाही। 15 सितंबर 2016 को रिलायंस कंपनी ने परियोजना निर्माण से इन्कार कर दिया। उसके बाद सरकार ने परियोजना को पीएसयू में देने का फैसला लिया था। अब इस परियोजना का निर्माण एसजेवीएनएल कर रही है। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने कहा कि ब्रैकल कंपनी ने धोखाधड़ी से सरकार से यह कान्ट्रैक्ट लिया था। सरकार का अडाणी कंपनी के साथ कोई करार नहीं हुआ। ब्रैकल ने अडाणी से पैसा लिया था, इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।