महाराष्ट्र के कोल्हापुर की ऐतिहासिक विशालगढ़ किले की संरचनाओं को ध्वस्त करने के मामले में दायर की गई कम से कम तीन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट राजी हो गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील सतीश तालेकर ने इलाके में भड़की हिंसा का हवाला देते हुए गुरुवार को तत्काल सुनवाई की मांग की थी। तालेकर ने कई सरकारी प्रस्तावों का हवाला देते हुए कहा था कि मानसून में इमारतों के विध्वंस अभियान को नहीं चलाया जाना चाहिए।इसके बाद कोर्ट ने याचिकाओं को शुक्रवार सुबह से सुनवाई के लिए रखने का फैसला किया है।

जानें याचिका में क्या मांग की गई
कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि विशालगढ़ किले में हजरत पीर मलिक रेहान दरगाह समेत घरों, दुकानों और अन्य संरचनाओं के खिलाफ की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई पर कोर्ट में दायर रिट याचिकाओं के अंतिम निपटान तक रोक लगाई जाए।विशालगढ़ निवासी अयूब उस्मान कागादी, अब्दुलसलीम कासिम मलंग और मुराद म्हालदार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि पूर्व सांसद के दबाव के चलते उग्र भीड़ को पुलिसकर्मियों ने किले पर चढ़ने की अनुमति दी थी।

याचिका में दावा किया गया है कि 14 जुलाई 2024 को कथित गुंडे लोहे की छड़ों और हथौड़ों से लैस थे, जिन्होंने निवासियों पर हमला किया और पथराव भी किया। दावा है कि इस दौरान लोगों ने  दरगाह के गुंबद पर चढ़कर इसे ध्वस्त किया था।

इतिहास के नजरिए से अहम है किला
यह किला मराठा इतिहास में काफी अहमियत रखता है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज 1660 में पन्हाला किले पर घेरे जाने के बाद यहां पहुंचे थे। 1844 में, विशालगढ़ पर कोल्हापुर राज्य का शासन था, जब एक ब्राह्मण शासक के खिलाफ विद्रोह हुआ था, जब सिंहासन का स्वाभाविक उत्तराधिकारी नाबालिग था।

विशालगढ़ किले पर अतिक्रमण हटाने के संबंध में लंबित अदालती मामलों के संबंध में सरकारी अटॉर्नी जनरल, बॉम्बे हाई कोर्ट की राय मांगी गई थी। 15 जुलाई 2024 को प्राप्त उस फीडबैक में कहा गया है कि उन याचिकाकर्ताओं को छोड़कर अन्य अतिक्रमण हटाए जा सकते हैं, जिनके पास हाई कोर्ट और अन्य अदालतों में स्थगन आदेश हैं। संबंधित फीडबैक मिलते ही प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू कर दिया।

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