दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से आबकारी नीति घोटाला (Delhi Excise Policy 2021-22) मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग इंटरनेट पर साझा करने के मामले में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोर्ट की कार्यवाही को रिकॉर्ड करके इंटरनेट पर साझा नहीं किया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी।
सुनीता केजरीवाल के वकील ने दिया तर्क
सुनीता केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे को सनसनीखेज बना रहा है और लोगों को घसीट रहा है, जबकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। अधिवक्ता ने अदालत से याचिका में पक्षकारों की सूची से उन्हें हटाने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि उन्होंने केवल रिकॉर्डिंग को रीपोस्ट किया था।
इंटरनेट से हटाई गई रिकॉर्डिंग
वहीं, पक्षों ने अदालत को बताया कि निर्देश के अनुसार, इंटरनेट मीडिया से सामग्री हटा दी गई है। मेटा के अधिवक्ता ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए अवकाश पीठ के निर्देश का पालन करना उनके लिए संभव नहीं था कि सामग्री फिर से अपलोड न हो। अदालत ने मेटा से इस संबंध में उचित आवेदन दाखिल करने को कहा।
अदालती कार्यवाही को बदनाम करने का इरादा
याचिकाकर्ता वैभव सिंह ने पहले याचिका दायर कर आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (AAP) के कई सदस्यों, जिनमें कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी शामिल हैं, ने जानबूझकर अदालती कार्यवाही को बदनाम करने और उसमें हेरफेर करने के इरादे से अदालती कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की और उसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किया।
याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को रिकार्ड करने और साझा करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने के लिए गहन जांच करने का निर्देश देने की मांग की है।