हाईकोर्ट ने वानस्पतिक अवस्था में पडे़ व्यक्ति को निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अदालत ने 30 वर्षीय व्यक्ति के मामले को मेडिकल बोर्ड को भेजने संबंधी याचिका खारिज कर दी। उसे 2013 में सिर में चोट लगी थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्य संकेत देते हैं कि व्यक्ति को यांत्रिक रूप से जीवित नहीं रखा जा रहा है और वह बिना किसी अतिरिक्त बाहरी सहायता के खुद को जीवित रखने में सक्षम है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, याचिकाकर्ता किसी भी जीवन रक्षक प्रणाली पर नहीं है और याचिकाकर्ता बिना किसी बाहरी सहायता के जीवित है।

हालांकि, कोर्ट माता-पिता के साथ सहानुभूति रखता है, क्योंकि याचिकाकर्ता गंभीर रूप से बीमार नहीं है। यह कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता और ऐसी प्रार्थना पर विचार करने की अनुमति नहीं दे सकता जो कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।

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