आगरा की जामा मस्जिद का आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वेक्षण कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। हाईकोर्ट ने विचाराधीन सिविल वाद संख्या तीन में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार और एएसआई के अधिवक्ता मनोज सिंह को पत्रावली की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपक्षियों से भी इस मामले में जवाब मांगा है। केंद्र सरकार यूपी सरकार और एएसआई को भी इस मामले में अपना जवाब दाखिल करना होगा। पांच अगस्त को होगी इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद से जुड़े सिविल वाद संख्या तीन में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्री कृष्ण जन्म स्थान में रखी मूर्तियों को छिपाए जाने का दावा करते हुए एएसआई सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है।

अब पांच अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
मथुरा मामले के हिंदू पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थान पर हमला बोलकर मंदिर में रखी मूर्तियां लूट ली थी।उसमें यह भी दावा किया गया है कि यह मूर्तियां आगरा की जामा मस्जिद में सीढ़ियों के नीचे रखी हुई हैं।

सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर मूर्तियों को बरामद कर उन्हें वापस जन्म स्थान पर रखे जाने की गुहार कोर्ट से लगाई गई है। याचिका में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही जामा मस्जिद की कमेटी को भी पक्षकार बनाया गया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई पांच अगस्त को होनी है।

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