बॉम्बे हाईकोर्ट ने फुटपाथ और सड़कों पर अनधिकृत फेरीवालों के मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि जब प्रधानमंत्री और अन्य VVIP के लिए सड़कों को एक दिन के लिए क्लियर किया जा सकता है, तो हर किसी के लिए रोजाना ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? जस्टिस एम.एस. सोनक और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने दो टूक लहजे में कहा कि फुटपाथ और चलने के लिए सुरक्षित जगह पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
राज्य के अधिकारी और अथॉरिटी यह उपलब्ध कराने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। बेंच ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर हमेशा सोचते रहने की भूमिका से बाहर आना होगा। शहर में फुटपाथ पर अतिक्रमण करनेवाले फेरीवालों की समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाने पड़ेंगे और बड़े पैमाने पर कुछ करना पड़ेगा।
‘समस्या बड़ी पर इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते’
बेंच ने स्पष्ट किया कि हम समझते है कि समस्या बड़ी है। लेकिन इसे ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्हें समधान के लिए कड़े कदम उठाने होगे। जब प्रधानमंत्री या कोई VVIP आता है, तो उसके रहते तक सड़कों और फुटपाथ को तत्काल क्लियर कर दिया जाता है? आखिर यह कैसे होता है? यह हर किसी के लिए क्यों नहीं किया जा सकता? नागरिक कर का भुगतान करते है।
वे अवरोध रहित और चलने के लिए सुरक्षित फुटपाथ पाने का हक रखते है। यह उनका बुनियादी अधिकार है, इसलिए बीएमसी अवैध फेरिवालों के खिलाफ कार्रवाई(कॉम्बिंग ऑपरेशन) की शुरूआत एक गली से करें। ताकि इस बड़ी परेशानी की पहचान हो सकें। बेंच ने 22 जुलाई को याचिका पर अगली सुनवाई रखी है।
इच्छा शक्ति का दिख रहा अभाव
बेंच ने आगे कहा कि हम अपने बच्चों को फुटपाथ पर चलने के लिए कहते है, लेकिन वास्तव में कोई फुटपाथ नहीं बची है। ऐसे में अब हम बच्चों से क्या कहें? कई सालों से अथॉरिटी कह रही है वह इस मुद्दे पर काम कर रही है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं दिख रहा है। लिहाजा सरकार को कुछ कठोर कदम उठाने होगे। इस विषय के समाधान के लिए इच्छा शक्ति का अभाव दिख रहा है,क्योंकि जहां चाह होती है वहां निश्चित तौर पर राह होती है।