बिलासपुर। एमएससी जीवविज्ञान नहीं होने के कारण मेरिट में आई अभ्यर्थी की उम्मीदवारी निरस्त करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने एक पद सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। साथ ही राज्य शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
राज्य शासन के शिक्षा विभाग में व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके तहत कोरबा निवासी अंजू राजपूत ने नौ मार्च 2019 को व्याख्याता जीव विज्ञान के लिए लिखित परीक्षा दी थी। मेरिट सूची में नाम आने के बाद उन्हें दस्तावेजों के सत्यापन के लिए बुलाया गया।
इस दौरान उनकी उम्मीद्वारी को यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि उन्होंने जीव विज्ञान विषय में एमएससी (स्नातकोत्तर) नहीं किया है। इस पर याचिकाकर्ता ने वकील घनश्याम कश्यप व इशान वर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है। इसमें बताया गया कि विज्ञापन में एमएससी लाइफ साइंस या बायोलोजी में एमएससी की शर्त रखी गई है।
याचिकाकर्ता ने फारेस्ट्री में एमएससी किया है जो लाइफ साइंस के अंतर्गत आता है। लिहाजा याचिकाकर्ता को चयन से वंचित नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट में जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने शासन से इस मामले में शासन से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही नियुक्ति में जीव विज्ञान का एक पद सुरक्षित रखने का आदेश भी दिया है। मामले में कोर्ट के आदेश के बाद ही इस पद पर नियुक्ति की जा सकेगी। इससे याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत मिली है।