कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही राज्यों में कुछ ही समय पहले शुरू हुए नियमित न्यायालयीन कार्य पर पुनः विराम लग गया है। कोरोना के मद्देनज़र जहाँ इलाहबाद हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल तक केवल जरूरी मामलो की सुनवाई का आदेश दिया है। वही छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 7 अप्रैल से केवल वर्चुअल सुनवाई का निर्णय लिया गया है। और अधीनस्थ न्यायालय बिलासपुर,रायपुर और दुर्ग में उच्च न्यायिक सेवा की 2 अदालते और निम्न न्यायिक सेवा की 4 अदालतो में रोटेशन के आधार पर कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई हैं। जिन स्टेशनों में 3 या उससे कम न्यायालय है, उनमें सभी न्यायालय कार्य करेंगे अन्य स्टेशनों पर उच्च न्यायिक सेवा और निम्न न्यायिक सेवा में 50 फीसदी रोटेशन के आधार पर न्यायालय कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई हैं।
दिशानिर्देश के मुख्य बिंदु –
उच्च न्यायलय हेतु –
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 7 अप्रैल से केवल वर्चुअल सुनवाई होगी।
- .रोस्टर के अनुसार चीफ जस्टिस के निर्देश पर कई बेंच होगा।
- नए केस की फाईलिंग फाईलिंग काउंटर के माध्यम से होगी, जिसमे दस्तावेज की हार्ड कॉपी के साथ -साथ सॉफ्ट कॉपी भी देनी होगी।
- आदेश की अर्जेन्ट सुनवाई हेतु पहले रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा ताकि संबंधित बेंच से अनुमति ली जा सकें।
- कर्मचारियों की संख्या आवश्यकतानुसार न्यूनतम रखी जाएगी ,जिसका निर्णय संबंधित प्रशासकीय प्रमुख लेंगे।
- भीड़ से बचने के लिए केवल वही अधिवक्ता न्यायालय में आए जो या तो नया प्रकरण दायर करना चाहते है या जिनके प्रकरण सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
अधीनस्थ न्यायालय हेतु –
- अधीनस्थ न्यायालय कार्य हाफ टाइम यानी 11 से 2 बजे तक होगा। लेकिन बेल व रिमांड के मामलों की सुनवाई सामान्य दिनों की तरह फूल टाइम होगी।
- नए प्रकरण दायर किए जा सकेंगे।
- मामलो की सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जायेगा।
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सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय,केंद्र सरकार,राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, व अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी कोविड – 19 से संबंधित दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए।
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चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इसका उल्लंघन करने पर भविष्य में प्रवेश करने पर निषेध लगाया जा सकता हैं। अथवा दंड भी लगाया जा सकता है।
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निम्नलिखित मामले सुनवाई हेतु स्वीकार किए जाएंगे
- 1.रिमांड मामले
- 2.जमानत मामले
- 3.सुपुर्दनामा के मामले
- 4.अपील व पुनर्विचार हेतू (सिविल व दाण्डिक दोनों)
- 5.विचाराधीन (अंडर ट्रायल) कैदियों से संबंधित
- 6. 05 वर्षो से अधिक, लंबित प्रकरण (सिविल व दांडिक दोनों)
- 7. मोटर दुर्घटना दावा/ प्रतिकर के मामले
- 8. मोटर दुर्घटना दावा मामलों में संबंधित जमा /भुगतान के प्रकरण
- 9. CRPC की धारा 125 के तहत प्रकरण
- 10.सुप्रीम कोर्ट अथवा हाइकोर्ट के निर्देशित समयावधि में, समाप्ति हेतु प्रकरण (सिविल व दाण्डिक दोनों)
- 11.अन्य अतिमहत्वपूर्ण मामले जिन्हें तत्काल सुनवाई हेतु न्यायालय ने रखा है।
- 12. महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध लैंगिक हमलों से संबंधित प्रकरणों का ट्रायल।
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अगर कोर्ट परिसर अथवा कोर्ट परिसर के आसपास के क्षेत्र कंटेनमेंट जोन/रेड ज़ोन हैं, अथवा कलेक्टर द्वारा जारी लॉक डाउन प्रभाव में हो तो। उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश से पूर्व सम्बन्धित प्रशासन द्वारा जारी आदेश/ निर्देश प्रभावी होगा।
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अगर कोई क्षेत्र कन्टेनमेंट ज़ोन घोषित किया गया है तो वहां न्यायलय में जितना हो सके कम से कम कर्मचारियों से काम लिया जायेगा अथवा वर्क फ्रॉम होम प्रणाली अपनायी जाएगी लेकिन बुलाये जाने पर स्टाफ को तुरंत उपस्थित होना होगा। सुनवाई हेतु केस का निर्धारण जिला न्यायधीश द्वारा किया जाएगा।
पढ़े आदेश –