फर्जी वीजा पर स्टूडेंट को कनाडा भेजने वाले इमिग्रेशन एजेंट को कोर्ट ने तीन साल की कैद की सजाई सुनाई है। जांच के दौरान ही आरोपी ट्रैवल एजेंट ने गुनाह कबूल कर लिया था। अब उसे तीन साल जेल की सजा काटनी होगी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसे तीन आरोपों में दोषी करार दिया गया, जब दो मामलों पर कोर्ट ने रोक लगा दी।
कोर्ट का फैसला आने के बाद उन छात्रों ने गुस्सा जाहिर किया, जो इस ट्रैवल एजेंट की वजह से परेशान हुए थे। उनका कहना है कि इमिग्रेशन एजेंट बृजेश मिश्रा ने हमारे साथ छल किया था, जिसकी वजह से हमें कनाडा से निर्वासन का सामना करना पड़ा था। उसे बस तीन साल की सजा सुनाई गई है। वे सभी छात्र निराश हैं कि उन्हें परेशानी में डालने वाले आरोपी को नरम सजा दी गई।
तीन आरोपों में दोषी करार दिया
पंजाब में जालंधर के इमिग्रेशन कंसल्टेंट बृजेश मिश्रा ने कनाडा के पढ़ाई करने के लिए जाने वाले 150 छात्रों के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे, जिसके कारण पिछले साल उनमें से कई छात्रों को देश से बाहर निकाल दिया गया था। इसी मामले की सुनवाई को लेकर बुधवार को मिश्रा वैंकूवर में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतीय अदालत में पेश हुआ और तीन आरोपों में दोषी पाया गया। प्रभावित छात्रों में से 28 वर्षीय रविंदरप्रीत सिंह ने बताया कि वह बहुत खुश है कि उसे (मिश्रा) आखिरकार सजा का सामना करना पड़ रहा है पर सजा की अवधि पर्याप्त नहीं है। उसने मेरे जीवन के कई साल बर्बाद कर दिए और मुझे अवसाद और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा।
9 साल होनी चाहिए थी सजा
छात्रों के वकील सुमित सेन ने बताया, “सजा बहुत अधिक होनी चाहिए थी। यह नौ वर्ष होनी चाहिए थी। मिश्रा ने कोर्ट में पश्चाताप किया था, इसलिए सजा की अवधि तीन मामलों में एक साथ चलेगी, जो कुल 3 साल है।” पिछले साल जून में कनाडा में प्रवेश करते समय मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था। वह तब से ही जेल में बद है, उस की सजा को तब से ही काउंट किया जाएगा। उसके हिसाब से मिश्रा को सिर्फ लगभग 19 महीने जेल में रहना पड़ेगा। हालांकि, उसके पा पैरोल लेने का भी विकल्प रहेगा।
स्टूडेंट को झेलनी पड़ी थी परेशानी
बता दें कि पिछले साल भारत के 150 से ज्यादा छात्रों को कनाडा से निर्वासन का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उनके दस्तावेज जाली पाए गए थे। ये छात्र 2017 और 2019 के बीच कनाडा पहुंचे। उन्हें 2021 और 2022 में कनाडाई सीमा सेवा एजेंसी (CBSA) से नोटिस मिलने लगे, क्योंकि एजेंसी ने उनके परमिट को नकली साबित किया था। प्रभावित छात्रों में से अधिकतर के डॉक्युमेंट्स मिश्रा ने ही तैयार किए थे। जून 2023 में गठित टास्क फोर्स जो वास्तविक छात्र थे, उन्हें वर्क परमिट देने के साथ स्थायी निवास की परमिशन दे रही है। रविंदरप्रीत सिंह उन लोगों में से हैं, जो स्थायी वर्क परमिट का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कम से कम 3 पूर्व छात्रों को सरकार की तरफ से वर्क परमिट दिया गया है। उनमें से एक बलबीर सिंह हैं, जो मूल रूप से अमृतसर के रहने वाले हैं और अब ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रहते हैं। उन्होंने कहा कि ढाई साल से हम तकलीफ झेल रहे थे। अब मैं और मेरा परिवार राहत महसूस कर रहे हैं और खुश हैं। वहीं, रविंदरप्रीत सिंह का मानना है कि भारत में ऐसे इमिग्रेशन एजेंटों की समस्या से निपटने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है, ताकि कनाडा आने वाले छात्रों का भविष्य हमारे जैसा प्रभावित न हो।