उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक चर्चित मामले में जेल गए आरोपितों ने फर्जी जमानतदारों के दस्तावेज लगाकर कोर्ट से जमानत लेने का प्रयास किया। मुकदमे के वादी को इसकी जानकारी पहले से हो गई। जिस पर उन्होंने पुलिस कमिश्नर को दस्तावेज के साथ प्रार्थना पत्र दिया। DCP क्राइम के यहां से मामले की जांच कराई गई। उनके यहां से गई रिपोर्ट के आधार पर जेल गए आरोपित, उसके परिजनों के खिलाफ कोतवाली थाने में धोखाधड़ी समेत अन्य गम्भीर धाराओं में FIR दर्ज कराई है।

हरबंश मोहाल निवासी रियल स्टेट कारोबारी संतोष यादव को नकली सोना देकर गुजरात के लोगों ने 1.57 करोड़ रुपए की ठगी को अंजाम दिया था। इसमें दो आरोपितों को जेल भेजा गया था। आरोपितों ने अपना नाम पटेल बताया था जबकि उनकी असली पहचान ईशहाक शर्मा और अली समा मामन जकरा के तौर पर हुई।

दोनों आरोपितों को जमानत दिलाने के लिए उसके बेटे समा अकबर और उसके साथी सहजाद व जेपी सिंह ने जमानत दिलाने का प्रयास शुरू कर दिया। जमानतदारों में आरोपितों ने प्रदीप कुमार, परशुराम और विकास कुमार को जमानतदार बनाया गया। कोर्ट में जमानतें दाखिल की गईं तो कोर्ट की तरफ से बिल्हौर पुलिस को जमानतदारों के सत्यापन के आदेश दिए गए।

आरोपितों ने बिल्हौर पुलिस की फर्जी सत्यापित रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करा दी। इसकी वादी संतोष यादव को जानकारी हुई। कोतवाली पुलिस ने संतोष यादव को वादी बनाते हुए ईशहाक शमा,अली समा मामन जकरा, समा अकबर आदि पर रिपोर्ट दर्ज की।

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