justice n.v. ramna supreme court launch app

Edited by

ABHINAV SONI

पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट की वर्चुअल सुनवाई की रिपोर्टिंग की अनुमति देने के लिए मोबाइल सुविधा शुरू करने को लेकर आयोजित एक वर्चुअल समारोह में चीफ जस्टिस एन.वी. रमण ने एक मोबाईल एप लॉन्च करने की बात कही। जिससे सुप्रीम कोर्ट  की कार्यवाही का सीधा प्रसारण जल्द शुरू हो सकता है। और न्यायालय की सुनवाई संबंधी  मामलों की रिपोर्टिंग करने के लिए  मीडियाकर्मियों को न्यायालय में जाने की जरूरत नहीं पडे़गी। 

हालाँकि चीफ जस्टिस रमण ने यह भी कहा कि – “सक्रिय रूप से कुछ न्यायालयों के लिए कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले सभी न्यायाधीशों से आम सहमति लेनी होगी।” 

क्या है ? ‘इंडिकेटिव नोट्स‘  

 एप लॉन्च  के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिक वेबसाइट पर इंडिकेटिव नोट्स नाम का फीचर भी जोडे जाने पर विचार किया जा रहा  है। ‘इंडिकेटिव नोट्स’ नाम के इस फीचर में महत्वपूर्ण निर्णयों का बहुत आसान भाषा में सार उपल्ब्ध होगा। जो न्यायालयों के फैसलों के बारे में जानने के इच्छुक मीडियाकर्मियों और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण होगा। 

अदालती सुनवाई पर खबरें लिखने के लिए पत्रकारों को होना पड़ रहा हैं ,वकीलों पर निर्भर 

प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा कि रिपोर्टिंग में मीडिया को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें पता चला है कि अदालती सुनवाई पर खबरें लिखने के लिए पत्रकारों को वकीलों पर निर्भर होना पड़ रहा है। इसके मद्देनजर ऐसी प्रक्रिया विकसित करने का अनुरोध किया गया था जिसकी मदद से मीडिया कर्मी सुनवाई में शामिल हो सकें।

सुप्रीम कोर्ट तथा मीडिया के बीच संपर्क स्थापित करने वरिष्ठ अधिकारी की होगी नियुक्ति 

मीडियाकर्मियों को मान्यता देने के संबंध में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उन्होंने नीति को और तर्कसंगत बनाने का निर्देश दिया है और सुप्रीम कोर्ट तथा मीडिया के बीच संपर्क का एकल माध्यम स्थापित करने के लिए वह एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करने पर विचार कर रहे हैं।


जस्टिस रमण ने कहा,

‘मैं कुछ वक्त के लिए पत्रकार था। उस वक्त हमारे पास कार या बाइक नहीं थी। हम बस में यात्रा करते थे क्योंकि हमसे कहा गया था कि आयोजकों से परिवहन सुविधा नहीं लेनी है।’

मीडिया से एप का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग करने और कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का अनुरोध करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि तकनीक, विशेष रूप से नई तकनीक संवेदनशील है और उपयोग के शुरुआती दिनों में कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं। छोटी-छोटी दिक्कतें आएंगी और उन्हें बेकार में बहुत बढ़ाया-चढ़ाया नहीं जाना चाहिए। 

लाइव-स्ट्रीमिंग से न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता बढ़ेगी

गौरतलब हो कि, 2018 में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने स्वप्निल त्रिपाठी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को लाइव- स्ट्रीमिंग करने के विचार को प्रमुख रूप से स्वीकार किया था। और कहा था कि लाइव-स्ट्रीमिंग से न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता बढ़ेगी। 

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के नियमों में आवश्यक संशोधन अभी तक लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए तौर-तरीकों को लागू करने के लिए नहीं किए गए हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी उस पीठ के सदस्य थे। उन्होंने पिछले महीने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के प्रमुख हैं। हाल के एक फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने लाइव-स्ट्रीमिंग की आवश्यकता पर जोर दिया था। 


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