सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा जिसमें दावा किया गया है कि फसलों और खाद्य पदार्थों पर कीटनाशकों और अन्य रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण देशभर में मौतें हो रही हैं।
केंद्र समेत इनसे मांगा गया जवाब
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार, कृषि मंत्रालय, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) व अन्य को नोटिस जारी किए और याचिका पर उनका जवाब मांगा। वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शिनाय ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने देशभर से आंकड़े एकत्रित किए हैं जिनमें कीटनाशकों की वजह से काफी बड़ी संख्या में मौतें होने का पता चलता है।
याचिकाकर्ता का दावा- देशभर में हो रही मौतें
शीर्ष अदालत अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया है, ”फसलों एवं खाद्य पदार्थों पर कीटनाशकों और अकार्बनिक रासायनिक पदार्थों का उपयोग और अति प्रयोग देश में कैंसर और अन्य घातक बीमारियों के प्राथमिक और प्रमुख कारण के रूप में उभरा है। इन रसायनों में कीटनाशक, खरपतवारनाशी, कवकनाशी एवं अन्य अकार्बनिक रासायन शामिल हैं।
कीटनाशकों या अकार्बनिक पदार्थों का उपयोग और अति प्रयोग खाद्य प्रदूषण है। यह वायु प्रदूषण की तरह साइलेंट किलर है। एक बार जब भोजन या फसल कीटनाशकों से दूषित हो जाती है, तो इसकी विषाक्तता संपूर्ण खाद्य श्रृंखला में तेजी से फैलती है। भोजन में मौजूद विषाक्त तत्वों एवं यौगिकों को मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद न तो बाहर निकाला जा सकता है और न ही शरीर अस्वीकार कर सकता है।’
क्या कहता है डेटा?
एफएसएसएआइ डाटा का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि 2015-16 के दौरान विश्लेषण किए गए 72,499 खाद्य नमूनों में से 16,133 दूषित या गलत ब्रांड वाले पाए गए। याचिका में कहा गया है कि अधिकारियों ने 1,450 आपराधिक और 8,529 दीवानी मामले दर्ज किए, जिसमें से 540 मामलों में सजा हुई। 2016-17 के दौरान 78,340 नमूनों में से 18,325 नमूने दूषित या गलत ब्रांड वाले पाए गए। कुल मिलाकर 13,080 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,605 लोगों को सजा हुई।
देश के 3 राज्यों में 161 लोगों की मौत
याचिका में कहा गया है कि मुद्दा इतना गंभीर होने के बावजूद केंद्र सरकार और उसके अधिकारी कीटनाशकों के उपयोग और अति प्रयोग की बढ़ती घटनाओं को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। याचिका में आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि देश के आठ राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, केरल, मेघालय, राजस्थान, उत्तराखंड और बंगाल) में से अकेले तीन राज्यों में कीटनाशकों के जहर के कारण 2020-21 में 161 लोगों की मौत हुई।