इलाहाबाद हाईकोर्ट से कांग्रेस नेता अजय राय को झटका लगा है। कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में अजय राय के विरुद्ध चल रहे ट्रायल पर रोक लगाने और मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अजय राय के खिलाफ चल रहे मुकदमे को रद्द करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। अजय राय और चार अन्य की ओर से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल याचिक पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है।
अजय राय, संतोष राय, चंद्रभूषण दुबे और विजय कुमार पांडे सहित अन्य लोगों के खिलाफ वर्ष 2010 में वाराणसी के चेतगंज थाने में बलवा, मारपीट आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बाद में इसमें गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया। यह मामला स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण वाराणसी की अदालत में लंबित है। अजय राय और अन्य लोगों की ओर से याचिका दाखिल कर मुकदमे की कार्यवाही समाप्त करने की मांग की गई। कहा गया कि उनका शिकायतकर्ता से समझौता हो गया है। तथा समझौते के आधार पर दर्ज मुकदमे को रद्द किया जाए। जबकि याचिक का विरोध कर रहे अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव का कहना था कि इसी प्रकरण में अभियुक्तों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मुकदमा दर्ज है।
जो की शमनीय नहीं है। तथा इस समझौते के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अजय राय का लंबा आपराधिक इतिहास है। उनके खिलाफ 27 मुकदमे दर्ज है। इस मामले में अब तक 11 गवाहों के बयान हो चुके हैं तथा वादी मुकदमा का बयान वर्ष 2014 में ही दर्ज हो चुका है । मुकदमे का ट्रायल पूरा होने के करीब है ।इसलिए मुकदमे को रद्द करने का कोई आधार नहीं है ।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यह स्थापित कानून है कि विवेचना के दौरान गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है । यह भी स्पष्ट है कि याची के विरुद्ध गैंगस्टर के तहत वादी मुकदमा ने मामला नहीं दर्ज कराया है। यह कार्रवाई सरकार द्वारा की गई है और सरकार तथा याची के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है ।इस मामले में चार्जशीट को पहले ही चुनौती दी गई थी और वह याचिका खारिज हो चुकी है । इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है।