नई दिल्ली। वर्तमान में देश के न्यायालयों में कई पद खाली हैं। जिसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से अनुशंसाएं भेजे जाने की प्रतीक्षा कर रही है। गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 7 पद खाली हैं। उच्च न्यायालय नियमित मुख्य न्यायाधीशों के बिना काम कर रहे हैं और 2 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश अगले डेढ़ महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
इन रिक्तियों को भरने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से अनुशंसाएं भेजे जाने की प्रतीक्षा कर रही है।
उच्चतम न्यायालय में पहली रिक्ति न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नवंबर 2019 में प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने पर हुई। इसके बाद शीर्ष अदालत में कुछ और पद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और पिछले महीने प्रधान न्यायाधीश के पद से न्यायमूर्ति एस ए बोबडे के सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त हुए। वहीं न्यायमूर्ति एम एम शाांतानागौदर का अप्रैल में निधन हो गया था।
विदित हो कि, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है जबकि वर्तमान में वह 27 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है। इलाहाबाद और कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ही कार्य कर रहे हैं।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस महीने के अंत में जबकि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
न्याय विभाग की वेबसाइट के मुताबिक देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल संख्या 1,080 स्वीकृत है, लेकिन इन अदालतों में 660 न्यायाधीशों हैं, यानी कोर्ट में 420 न्यायाधीश कम हैं। (उक्त आंकड़े 1 मई 2021 के आधार पर है)
क्या होता हैं, कॉलेजियम ?
कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक पैनल जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है. कॉलेजियम वकीलों या जजों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है। पहली बार की सिफारिश को सरकार नामंजूर कर सकती हैं लेकिन कॉलेजियम की सिफारिश दूसरी बार भेजने पर सरकार को इसे स्वीकार करना अनिवार्य होता हैं।